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24-Dec-2024 12:24 AM
'एक देश, एक चुनाव' का आशय है कि पूरे देश में एक साथ लोकसभा और विधान सभाव चुनाव कराए जाएं। वर्तमान में, लोकसभा और विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे संसाधनों की अधिक खपत होती है। मोदी सरकार अब दोनों चुनावों को एक साथ आयोजित करने की योजना बना रही है, जिससे चुनावों के खर्चे और मैनपॉवर की बचत हो सके। इस बिल को हाल ही में केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है, और इसे 17 दिसंबर, 2024 को लोकसभा में पेश किया जाएगा।
क्यों जरूरी है 'एक देश, एक चुनाव'?
वर्तमान में लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे चुनाव आयोग, सरकारी कर्मचारियों और अन्य संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव पड़ता है। एक साथ चुनाव कराए जाने से:
कमेटी और विधेयक का इतिहास
इस विधेयक के लिए एक कमेटी बनाई गई थी, जिसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की थी। इस कमेटी में 8 सदस्य थे, जिनमें गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी, और वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे शामिल थे। इस कमेटी ने 14 मार्च 2024 को अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी, और अब इसे कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है।
क्या है विधेयक का उद्देश्य?
इस विधेयक का उद्देश्य लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनावों को एक साथ कराना है, जिससे चुनावों की प्रक्रिया को सरल और खर्च कम किया जा सके। इसके अलावा, मैनपॉवर और संसाधनों का बेहतर उपयोग करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है।
पिछले उदाहरण:
भारत में 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए गए थे। हालांकि, इसके बाद यह परंपरा कायम नहीं रह सकी। अब, मोदी सरकार एक बार फिर इसे लागू करने की दिशा में काम कर रही है।
अगर यह विधेयक संसद में पास हो जाता है, तो यह भारतीय चुनाव प्रक्रिया में एक ऐतिहासिक कदम होगा, जिससे चुनावों के खर्च में कमी, मैनपॉवर का बेहतर इस्तेमाल और राजनीतिक स्थिरता सुनिश्चित हो सकेगी।