ब्रेकिंग न्यूज़

Bihar News: बिहार में डायरिया से दो बच्चियों की मौत, जलजमाव और गंदगी बनी बड़ी वजह BIHAR POLITICS : तेजस्वी यादव का पीएम मोदी पर हमला, कहा- "मां सबकी होती है, लेकिन भाजपा खुद भी करती रही है अमर्यादित बयानबाजी" Bihar News: बिहार में इस नदी पर चेक डैम निर्माण को मिली मंजूरी, खर्च होंगे ₹27 करोड़ Life Style: बच्चों में क्यों बढ़ रहा है मोतियाबिंद? जानें... लक्षण, कारण और इलाज BIHAR NEWS : बिहार सड़क हादसा: NH-19 पर बाइक की टक्कर से पिता की मौत, पुत्र घायल Bihar Teachers News: टीचर हो जाएं सावधान! समय से पहले घर जाने शिक्षकों पर हो रहा एक्शन, नए ACS के आते ही शुरू हुई कार्रवाई Diabetes Control: डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है यह फूल, रिसर्च में भी साबित हुआ असरदार Diabetes Control: डायबिटीज के मरीजों के लिए काफी फायदेमंद है यह फूल, रिसर्च में भी साबित हुआ असरदार BIHAR NEWS : नदी में स्नान करने गए दो बच्चों की डूबने से हुई मौत, परिजनों में मातम का माहौल Patna News: पटना में ऊर्दू-बांग्ला TET अध्यर्थियों ने JDU कार्यालय को घेरा, पुलिस से हुई तीखी झड़प

बिहार विधानसभा उपचुनाव-खुद को खुदा समझने की भूल कर बैठे थे नीतीश कुमार, जनता ने हैसियत बता दी

1st Bihar Published by: Updated Thu, 24 Oct 2019 02:09:21 PM IST

बिहार विधानसभा उपचुनाव-खुद को खुदा समझने की भूल कर बैठे थे नीतीश कुमार, जनता ने हैसियत बता दी

- फ़ोटो

PATNA: क्या होता है जब कोई राजनेता खुद को खुदा समझने की भूल कर बैठता है. अंजाम वही होता है जो इस बार के विधानसभा उप चुनाव में नीतीश कुमार का हुआ. किसी के भी गले में टिकट टांग कर विधायक बना देने का दंभ उनकी पार्टी को ले डूबा. बड़ी बात ये है कि नीतीश के अहंकार ने पस्त हो चुके लालू प्रसाद यादव के कुनबे को फिर से खड़ा कर दिया. नीतीश कुमार के लिए आगे आने वाले दिन बेहद मुश्किल साबित होने जा रहे हैं.


नीतीश का अहंकार ले डूबा
सियासी जानकार बताते हैं कि इस उप चुनाव में नीतीश कुमार का अहंकार चरम पर था. ये अजूबा वाकया था कि उन्होंने दरौंदा से विधायक कविता सिंह को पहले लोकसभा का टिकट देकर सांसद बनाया और फिर विधानसभा की खाली हुई सीट पर कविता सिंह के पति अजय सिंह को उम्मीदवार बना दिया. कविता सिंह की सियासी पहचान सिर्फ और सिर्फ इतनी रही है कि वे हिस्ट्रीशीटर माने जाने वाले अजय सिंह की पत्नी हैं. लोग पूछ रहे थे कि अगर अजय सिंह और उनकी पत्नी को सांसद और विधायक बनाना था तो नीतीश ने लोकसभा चुनाव में सीधे अजय सिंह को ही टिकट क्यों नहीं दे दिया. फिर दरौंदा में उप चुनाव की नौबत ही नहीं आती. लेकिन ये नीतीश बिहार की राजनीति को अपने मुताबिक चलाने की जिद पर आमदा थे. नतीजा ये हुआ कि जदयू के हाथों से दरौंदा सीट निकल गयी. दरौंदा की तरह दूसरी सीटों पर भी उम्मीदवारों को चुनने में भी नीतीश अपने घमंड के दायरे से बाहर नहीं निकल पाये. नतीजा सबके सामने है.


बेलहर से लेकर सिमरी बख्तियारपुर में नीतीश का गलत फैसला
दरौंदा ही नहीं बल्कि बेलहर से लेकर सिमरी बख्तियारपुर में नीतीश कुमार ने अपनी पार्टी का उम्मीदवार चुनने में लगातार गलतियां की. बेलहर में नीतीश कुमार पूरी तरह गिरधारी यादव पर आश्रित हो गये. ये सीट गिरधारी यादव के सांसद बनने से खाली हुई थी. गिरधारी ने अपने गैर राजनीतिक भाई लालधारी यादव को उम्मीदवार बनवा दिया. पार्टी के लोग दूसरे को उम्मीदवार बनाने की मांग करते रहे लेकिन नीतीश नहीं माने. सिमरी बख्तियारपुर विधानसभा सीट पर भी नीतीश ने राजनीति में किनारे लगा दिये गये अरूण यादव को टिकट दे दिया. पिछले चुनाव में सीटिंग विधायक अरूण यादव का टिकट काटकर नीतीश कुमार ने दिनेश यादव को विधायक बनवाया था. जब अरूण यादव सियासत की मुख्यधारा से कट गये तो उन्हें फिर से उप चुनाव में उम्मीदवार बना दिया गया. सिमरी बख्तियारपुर में भी जदयू उम्मीदवार को चुनने में नीतीश ने अपनी पार्टी के नेताओं-कार्यकर्ताओं की कुछ नहीं सुनी.


भारी विरोध के बावजूद नाथनगर से लक्ष्मीकांत मंडल को टिकट दिया
उप चुनाव के एलान से पहले से ही नीतीश कुमार ने तय कर रखा था कि नाथनगर से लक्ष्मीकांत मंडल को टिकट देना है. पार्टी की भागलपुर यूनिट ने इसका जमकर विरोध किया. भागलपुर के जदयू कार्यकर्ताओं ने पटना पहुंच कर पार्टी के फैसले का विरोध किया. लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गयी.  नतीजा सामने है.


कमजोर होगी नीतीश कुमार की स्थिति
इस उप चुनाव के बाद अब यही माना जा रहा है कि बिहार में नीतीश कुमार की स्थिति कमजोर होगी. एक ओर राजद के हौंसले परवान पर होंगे जो हर रोज नीतीश कुमार के लिए नयी मुसीबत खड़ा करेगी. वहीं भाजपा से सीट बंटवारे में भी नीतीश की स्थिति कमजोर होगी. बीजेपी पने हले से ही सीट बंटवारे को लेकर जदयू पर दबाव बना कर रखा है. अब ये दबाव और बढ़ेगा. दोनों ओर से होने वाले हमले को झेल पाना नीतीश कुमार के लिए आसान नहीं होगा.