SARAN: कन्हैया कुमार ने जन-गण-मन यात्रा के दौरान छपरा पहुंचे और केंद्र सरकार पर हमला बोला. कन्हैया ने कहा कि चाहे जितना भी अपना पीठ थपथपा ले. लेकिन उसके विकास का ढोल फट चुका है. किसान खेत में मर रहे हैं तो सैनिक सीमा पर गोली खा रहे हैं. केंद्र सरकार धर्म के नाम पर एनपीआर एवं एनआरसी के माध्यम से नफरत फैला रही है. सीएए एवं एनआरसी संविधान की आत्मा एवं प्रस्तावना पर हमला है. जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया ने शहर के हवाई अड्डा मैदान में जनसभा को संबोधित करते हुए कही. देश के युवा रोजगार मांग रहे हैं और सरकार एनआरसी में उन्हें उलझा कर एक दूसरे के प्रति द्वेष उत्पन्न कर रही है, इसलिए आज जरूरी है कि नागरिकता बचाओ और देश बचाओ की आवाज को बुलंद किया जाए.
काला धन नहीं आया वापस
कन्हैया ने कहा कि सरकार वादा खिलाफी कर जनता को नफरत की आग में झोंक रही है. काला धन वापस लाने के मुद्दे पर भी सरकार खेल रही है. उसके द्वारा नोटबंदी का उठाए गए कदम से भी काला धन वापस नहीं आया. सरकार बेरोजगारी रोक पाने में विफल तो है ही लेकिन महिलाओं पर अत्याचार भी रोक पाने में विफल है. सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा देती है, लेकिन आज महिलाओं पर अत्याचार काफी बढ़ा हुआ है.
यह किस तरह का न्याय
वही छ्परा के कोपा में अपने पर पथराव पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में अतिथि देवो भव: कहा गया है. उनके काफिले पर हमला कहां का न्याय है. सरकार लोगों को बरगला रही है कि धर्म खतरे में है. अगर धर्म और अपने भगवान पर उन्हें भरोसा है तो सत्य से क्यों डर रहे हैं. आने वाला चुनाव सरकार को करारा जवाब देगा, क्योंकि एक बड़े आदमी और एक गरीब का भी वोट बराबर है. यह लोकतंत्र की ताकत है.
अमित शाह पर बोला हमला
कन्हैया ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर हमला बोलते हुए कहा कि मोटा भाई सीएए को नागरिकता देने का कानून बताते हैं, लेने का नहीं. लेकिन असम में लागू किए जाने के बाद 19 लाख लोग इसे बाहर हो गए. जिसमें 15 लाख सिर्फ हिंदू समुदाय के लोग हैं, अब जुमले की सरकार नहीं चलने वाली है, देश के युवा रोजगार मांग रहे हैं. जबकि, सरकार धर्म के नाम पर नफरत का बीज बो रही है, ताकि जनता इसी में उलझी रहे. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार जुमलेबाजों की सरकार है. यह कहती कुछ और है और करती कुछ और है, विकास के मुद्दे पर यह सरकार पूरी तरह से फेल है. सरकार काला धन लाने, गरीबों के खाते में 15 लाख देने, प्रतिवर्ष दो करोड़ नौकरी देने एवं किसानों के फसल का दुगना दाम देने संबंधित सभी मामले पर फेल साबित हुई है.