PATNA : देश में आगामी कुछ महीनो में लोकसभा का चुनाव होना है। इस चुनाव को लेकर लोकसभा चुनाव को लेकर देश की तमाम छोटी बड़ी राजनीतिक दल अपनी तैयारी में जुटी हुई है। लेकिन इस बीच जो सबसे बड़ा सवाल उठ रहा है वह यह है कि क्या आप भाजपा एक बार फिर से मंडल कमंडल की राजनीति पर अपना ध्यान दे रही है? क्योंकि हाल ही में ऐसा वाकया देखने को मिला है जिसके बाद यह कहा जाना बेहद तार्किक हो गया है कि भाजपा मंडल कमंडल की ओर वापस लौट रही है।
दरअसल, एक दिन पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करके हिंदू राजनीति से सर्व समाज को एक बड़ा संदेश दिया। उसके अगले ही दिन यानी मंगलवार को मोदी सरकार ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न देने का ऐलान कर दिया। माना जा रहा है कि पीएम मोदी के इस कदम से विपक्ष के साथ-साथ नीतीश और लालू दोनों के खेमों में खलबली बढ़ गई है। अभी तक पिछड़ा वोटरों पर अपना दबदबा रखने वाले लालू और नीतीश को पीएम मोदी के इस फैसले से बड़ा झटका लगा है। जहां जातिगत गणना के बाद नीतीश कुमार ने पिछले समाज की अगुवाई का झंडा बुलंद करने की शुरुआत की थी और राजद भी इसमें कदम से कदम मिला रही थी। अब ऐसे में इस फैसले से कहीं ना कहीं इस वोट बैंक पर एक बड़ा असर पड़ेगा।
सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा की। इसके बाद पूरे देश में जिस तरह का माहौल उससे संकेत मिलता है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पीएम मोदी ने एक बड़ा दांव चल दिया है। इसके बाद मंदिर में जिस तरह से मंगलवार को रामलला के दर्शन के लिए देश के लगभग हर कोने से लोग पहुंचे थे। भीड़ का यह आलम देखकर समझ में आ रहा है कि पीएम मोदी ने देश के लोगों की नब्ज पकड़ ली है। राम मंदिर के दम पर हिंदू जनमानस के साथ-साथ आम भारतीय को भी एक अपने पक्ष में करने वाला एक अहम कदम उठाया है।
नीतीश भी कर रहे बड़े रैली
वहीं, प्राण प्रतिष्ठा के अगले ही दिन मोदी सरकार ने एक और बड़ा दांव खेला। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और जननायक कहे जाने वाले कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न का ऐलान किया गया। इसे इसलिए बड़ा दांव कहा जा रहा है कि क्योंकि इससे नीतीश और लालू दोनों की रणनीति पर असर पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि बिहार में जाति जनगणना के बाद महागठबंधन बिहार में पिछड़ों का अगुआ बन रहा था। नीतीश कुमार और लालू की सियासत भी इसी वोटबैंक पर आधारित रही है। नीतीश सरकार ने कर्पूरी ठाकुर के नाम को भुनाने के लिए उनके गांव में तीन दिवसीय समारोह भी आयोजित किया है। आज यानी 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की जयंती पर वह पटना में रैली को संबोधित भी करने वाले हैं। लेकिन एक दिन पहले ही मोदी सरकार ने इस ऐलान के साथ नीतीश के मंसूबे पर पानी फेर दिया है।
63 फीसदी बिहार पर निशाना
इतना ही नहीं केंद्र के इस कदम से आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के लिए मदद मिल सकती है। बिहार में 27 प्रतिशत पिछड़ा और 36 प्रतिशत अति पिछड़ा वर्ग की हिस्सेदारी है। कुल मिलाकर 63% की भागीदारी वाले समाज पर कर्पूरी ठाकुर का बहुत बड़ा प्रभाव है। यह वर्ग उन्हें अपने नायक के तौर पर देखता है। माना जाता है कि नरेंद्र मोदी ने इसी वर्ग को साधने के लिए कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने की घोषणा की है।
कर्पूरी के फोर्मुले पर बनाई अपनी पहचान
आपको बताते चलें कि,आरजेडी चीफ लालू प्रसाद और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दोनों ही कर्पूरी ठाकुर की लीगेसी को फॉलो करते हैं। 90 के दौर से ही दोनों इसी फॉर्मूले को अपनाते हुए बैकवर्ड क्लास के वोटों पर पकड़ बनाए हुए हैं। असल में बैकवर्ड क्लास को दो श्रेणियों में बांटने का फॉर्मूला कर्पूरी ठाकुर ने ही तैयार किया था। इसके जरिए वह वंचित समाज को उचित जगह देना चाहते थे। नीतीश कुमार ने ओबीसी और ईबीसी वर्ग तैयार किया और खुद को अति पिछड़ा वर्ग यानी ईबीसी का प्रतिनिधि बनाया। उधर लालू बैकवर्ड क्लास को लेकर चलते रहे।