KAIMUR: कैमूर में दुर्गापूजा के दौरान सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक फर्जी वीडियो को आधार बनाते हुए पुलिस ने 24 नामजद समेत 150 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया है। केस दर्ज होने के बाद आरोपी बनाए गए लोगों ने निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए वीडियो को फर्जी बताया है और कहा है कि वीडियो को एडीट कर उन्हें फंसाने की साजिश समुदाय विशेष के लोगों ने की है।
दरअसल, कुदरा शहर में मां दुर्गा के प्रतिमा विसर्जन के दौरान रविवार की शाम निकाले गए जुलूस के बाद अगले दिन वीडियो वायरल किया गया, जिसमें विशेष धर्म समुदाय के खिलाफ आपत्तिजनक नाराबाजी बताते हुए वायरल किया गया था। जिस मामले में कुदरा पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए 24 नामजद और 150 अज्ञात लोगों पर केस दर्ज किया और विसर्जन जुलूस में शामिल रहे डीजे को जब्त कर लिया। केस थाने में दर्ज होने के बाद कुदरा के लोगों में काफी असंतोष है।
शहर वासियों का कहना है कि वीडियो एडिटेड है इसकी निष्पक्ष तरीके से जांच के बाद ही कार्रवाई होनी चाहिए। जो लोग यहां पर नहीं थे उनके ऊपर भी इस कांड में नामजद केस दर्ज कराया गया है जो कि सरासर गलत है। जानकारी देते हुए प्रमोद कुमार सिंह ने बताया रविवार की शाम 7:45 बजे कुदरा रेलवे स्टेशन का जुलूस शासन और प्रशासन के उपस्थिति में निकाला जा रहा था। मोहनिया एसडीएम राकेश कुमार सिंह और डीएसपी प्रदीप कुमार के साथ काफी संख्या में पुलिस बल की मौजूदगी थी।
जुलुस शांतिपूर्वक संपन्न हुआ सभी ने बधाई दिया लेकिन अगले ही दिन आपत्तिजनक वीडियो वायरल बता कर केस दर्ज कराई गई है, जो कि सरासर गलत है। अगर आपत्तिजनक नाराबाजी जुलूस में हुई होती है तो प्रशासन ने उसी समय कार्रवाई क्यों नहीं किया। वीडियो पूरी तरह से एडिटेड है। उस समय किसी ने जुलूस के दौरान कोई आपत्ति नहीं दिखाई क्योंकि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था और बाद में एडिट वीडियो के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है निष्पक्ष तरीके से जांच होनी चाहिए।
पूजा समिति के पूर्व सदस्य संजय कुमार पांडे ने बताया वह 11 अक्टूबर से 14 अक्टूबर तक वाराणसी में मौजूद थे और जिस दिन की घटना रविवार 13 अक्टूबर की रात की बताई जा रही है वे उस समय काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन करने के लिए गए थे। वहां का सीसीटीवी कैमरा भी रिकॉर्ड में होगा उसकी जांच कराई जा सकती है। 13 तारीख की घटना बताई जा रही है और 14 तारीख को जब वह बनारस में थे तो मेरे ऊपर आखिर केसकी किस आधार पर किया गया। मामले की निष्पक्ष तरीके से जांच होनी चाहिए, प्रशासन की मनमानी नहीं चलेगी।