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1st Bihar Published by: Updated Mon, 23 Dec 2019 07:13:13 PM IST
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RANCHI: झारखंड में जाकर नीतीश मॉडल समझा रहे जदयू नेताओं के सारे दावे मिट्टी में मिल गये. जीत और हार की छोड़िये, 46 सीट पर लड़ने वाले जदयू को इज्जत बचाने लायक भी वोट नहीं मिले. दो सीटों पर चुनाव लड़ने वाले जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मु को दो हजार वोट भी नहीं मिले हैं. झारखंड बनने के बाद जदयू को कभी ऐसी करारी हार का सामना नहीं करना पड़ा था. पार्टी का हाल इससे ही समझिये कि जदयू को कुल मिलाकर एक परसेंट वोट भी नहीं मिला.
नीतीश मॉडल फेल, लव-कुश समीकरण ध्वस्त
झारखंड में जदयू की रणनीति कुछ और थी. जुबानी तौर पर नीतीश मॉडल की बात की जा रही थी. लेकिन फील्ड में कुछ और समीकरण सेट किया जा रहा था. एक खास जाति के नेताओं को बिहार से उठाकर झारखंड के हर उस सीट पर बिठाया गया था, जहां जदयू का उम्मीदवार चुनाव लड़ रहा था. सारी कोशिश यही थी कि महतो जाति के वोट जदयू के पाले में आ जायें. लेकिन सारी कोशिशों को जनता ने ऐसी बुरी तरह से नकारा कि पार्टी के नेता झारखंड की बात करने से भी भाग रहे हैं.
देखिये क्या हुआ जदयू का हाल
हम आपको डिटेल में बताते हैं कि जदयू का झारखंड के चुनाव में क्या हाल हुआ. हम आपको आंकडे बता रहे हैं हालांकि ये आंकडा शाम सात बजे तक का है. इसमें मामूली फेर बदल हो सकता है.
-जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सालखन मुर्मू दो सीटों से चुनाव लड़े. मझगांव विधानसभा क्षेत्र में उन्हें दो हजार से भी कम वोट मिले. वहीं शिकारीपाड़ा में भी वे साढ़े चार हजार वोट से नीचे ही सिमट गये.
-झारखंड की पूर्व मंत्री और विधायक रही सुधा चौधरी छतरपुर विधानसभा क्षेत्र से जदयू उम्मीदवार थी. उन्हें झारखंड में जदयू उम्मीदवारों में सबसे ज्यादा वोट आया. सुधा चौधरी को लगभग नौ हजार वोट मिले हैं.
-जदयू ने धनबाद सीट पर प्रचार के लिए बिहार सरकार के आधे दर्जन मंत्रियों को भेजा था. श्याम रजक, श्रवण कुमार, जय कुमार सिंह, नीरज कुमार जैसे मंत्री कई दिन तक वहां कैंप करके बैठे थे. धनबाद के जदयू उम्मीदवार को दो हजार वोट भी नहीं मिले हैं.
-जदयू ने विश्रामपुर सीट से शराब और बालू के एक बड़े कारोबारी ब्रह्मदेव प्रसाद को उम्मीदवार बनाया था. आधा दर्जन मंत्री, कई सांसद और विधायक विश्रामपुर में डटे रहे. जदयू का उम्मीदवार 8 हजार वोटों के इर्द गिर्द सिमट गया.
-झारखंड की तमाड़ सीट पर कभी जदयू का कब्जा हुआ करता था. इस दफे वहां जदयू के उम्मीदवार को दो हजार वोट भी नहीं मिले.
-रांची, हटिया और गुमला जैसे सीटों पर चुनाव प्रचार की कमान नीतीश कुमार के खास रणवीर नंदन संभाल रहे थे. वे दावा कर रहे थे कि कलमजीवी और लव-कुश समाज का समीकरण बनेगा. रांची के जदयू उम्मीदवार संजय सहाय को लगभग नौ सौ वोट मिले. हटिया में जदयू प्रत्याशी ऐनुल हक को लगभग 6 सौ मिले. गुमला के उम्मीदवार प्रदीप उरांव तीन सौ वोट से नीचे सिमट गये.
-46 में से एक दर्जन सीटें ऐसी रहीं जहां जदयू को एक हजार वोट भी नहीं मिला है. इसमें मनिका, रांची, हटिया, विष्णुपुर, लातेहार, गढ़वा, पांकी जैसी सीट शामिल हैं.
-चुनाव आयोग के आंकडो के मुताबिक जदयू को झारखंड में 0.75 परसेंट वोट मिला. यानि 46 सीटों पर लड़ कर जदयू एक परसेंट वोट भी नहीं ला पायी.
नीतीश ने पहले का ही रिकार्ड दुहराया
वैसे बिहार से बाहर नीतीश कुमार की महात्वाकांक्षाओं का ये हश्र नया नहीं है. झारखंड ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, दिल्ली से लेकर हरियाणा जैसे राज्यों में नीतीश कुमार ने अपने उम्मीदवार खड़े कर जनाधार बढ़ाने की कोशिश की. लेकिन हर बार हश्र एक जैसा ही हुआ.