PATNA : जनता दल यूनाइटेड के अंदर चल रहा वर्चस्व का खेल अब दिलचस्प दौर में पहुंचता दिख रहा है. केंद्रीय मंत्री और जेडीयू के नेता आरसीपी सिंह ने पटना में आज भोज का आयोजन किया है. आरसीपी सिंह के स्टैंड रोड स्थित आवास पर आयोजित भोज में उनके करीबी नेता और पार्टी के कार्यकर्ता समर्थक शामिल होंगे. सूत्रों की माने तो तकरीबन 5000 लोगों के लिए खाने-पीने का इंतजाम किया गया है. इस दौरान मीडिया को भी आमंत्रण भेजा गया है. आरसीपी सिंह खुद तकरीबन 12:30 बजे मीडिया के लोगों से मुखातिब होंगे. आरसीपी सिंह के इस भोज को शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने के बाद आज पहली बार इस तरह का कोई आयोजन कर रहे हैं.
ललन बनाम आरसीपी की लड़ाई
सियासी जानकार मानते हैं कि आरसीपी सिंह मौजूदा दौर में जिस तरह जेडीयू के अंदर नेतृत्व से अलग-थलग पड़े हुए हैं, उसे देखते हुए वह अपने करीबी नेताओं और समर्थकों की पहचान करना चाहते हैं. यही वजह है कि पटना में आज भोज का आयोजन किया जा रहा है. केंद्रीय मंत्रिमंडल में आरसीपी सिंह के शामिल होने के बाद राष्ट्रीय अध्यक्ष की कुर्सी ललन सिंह के पास चली गई थी.
ललन सिंह के अध्यक्ष बनने के बाद आरसीपी सिंह के करीबी नेताओं को जेडीयू के अंदर साइड लाइन किया जाता रहा. जो लोग आरसीपी सिंह के अध्यक्ष रहते हैं उनके करीबी माने जाते थे वह भी लगभग पाला बदल चुके हैं. कई ऐसे नेताओं को ललन सिंह की नई टीम में जगह मिली है जो पहले आरसीपी सिंह के खास हुआ करते थे. ऐसे में आरसीपी सिंह भी अब नए सिरे से पार्टी के अंदर गोलबंदी में जुट गए हैं.
आरसीपी का अगला प्लान
आरसीपी सिंह जेडीयू के राज्यसभा सांसद हैं और उनका कार्यकाल इसी साल खत्म हो रहा है. आरसीपी सिंह को जनता दल यूनाइटेड एक बार फिर राज्य सभा भेजेगा या नहीं यह सवाल भी बना हुआ है. ऐसे में आरसीपी सिंह अपने शक्ति प्रदर्शन के जरिए नीतीश कुमार समेत पार्टी के तमाम बड़े नेताओं को यह मैसेज देने की कोशिश कर सकते हैं कि उनकी ताकत अभी भी पार्टी और संगठन के अंदर मजबूत है. सिंह ने संगठन के राष्ट्रीय महासचिव रहते हुए जेडीयू में अपनी पकड़ बनाई और फिर बाद में नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने. राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर ही उन्होंने मोदी कैबिनेट में जेडीयू के शामिल होने का फैसला किया. जेडीयू से केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले आरसीपी सिंह इकलौते सदस्य हैं.
ऐसे में एक तरफ जहां आरसीपी सिंह के लिए राज्यसभा जाना चुनौती बना हुआ है तो वहीं ललन सिंह उत्तर प्रदेश में बीजेपी से गठबंधन समेत कई मसलों पर आरसीपी सिंह को आईना दिखाते रहे हैं. यूपी में बीजेपी से गठबंधन नहीं हो पाने का ठीकरा भी ललन सिंह ने आरसीपी के ऊपर ही छोड़ा था. बाद में विशेष दर्जे के मसले पर भी आरसीपी सिंह को ललन सिंह पार्टी की नीति के बारे में याद दिला चुके हैं. हालांकि आरसीपी सिंह बाद में कड़े जवाब के साथ लौटे थे और उन्होंने यहां तक कह दिया था कि बीजेपी के खिलाफ कुछ भी करना बेमानी होगा. आरसीपी सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि हमें जनता ने 2025 तक के बीजेपी के साथ एनडीए गठबंधन में रहने का आदेश दिया है और ऐसे में बाएं दाएं का खेल नहीं होना चाहिए. जेल के अंदर चल रहे मौजूदा खींचतान के बीच कौन से नए सियासी रंग दिखाएगा यह देखना बेहद दिलचस्प होगा.