PATNA : देश में जाति के आधार पर जनगणना कराने की मांग करने के लिए नीतीश कुमार बिहार के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल के साथ प्रधानमंत्री से मिलना चाहते हैं. नीतीश ने 3 अगस्त को प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर टाइम मांगा था, 10 दिन बाद 13 अगस्त को प्रधानमंत्री ने एक लाइन का जवाब भेजा है कि नीतीश कुमार का पत्र मिल गया है. मिलने का टाइम देने पर कोई जानकारी नहीं दी. अब नीतीश कुमार ने कहा है कि वे जातीय जनगणना पर अपने स्तर पर कोई फैसला लेने से पहले आदरणीय प्रधानमंत्री के फाइनल जवाब का इंतजार करेंगे.
सोमवार को मीडिया से बात करते हुए नीतीश कुमार ने कहा
“प्रधानमंत्री जी का पत्र 13 अगस्त को मिल गया है. प्रधानमंत्री ने बताया है कि मैंने जो पत्र भेजा था वह उनके कार्यालय को मिल गया है. जब आदरणीय प्रधानमंत्री ने कह दिया है कि पत्र मिल गया है तब वे जब उचित समझेंगे तब समय देंगे. समय देंगे तब जायेंगे. औऱ जब तक ये नहीं होता है तब तक कोई नयी बात हम नहीं करेंगे. हम वेट कर रहे हैं.”
नीतीश ने कहा कि जब प्रधानमंत्री ने खुद कह दिया है कि पत्र मिला है तो इसके बाद ही पता चलेगा कि कोई समय मिलेगा. इसलिए हम तो अभी वेट करेंगे. हमको तो अभी उम्मीद है कि जब समय मिलेगा तो जाकर बात करेंगे. हम मांग करेंगे कि जातिगत आधार पर जनगणना कराइये.
हम समय पर अपना फैसला लेंगे
नीतीश कुमार ने कहा कि जब तक आदरणीय प्रधानमंत्री से बात न हो जाये औऱ कोई निष्कर्ष निकल कर नहीं आ जाये तब तक वे अपने स्तर से कोई फैसला लेने के पक्ष में नहीं हैं. मीडिया ने पूछा कि क्या नीतीश कुमार खुद अपने स्तर से बिहार में जातिगत जनगणना करायेंगे. जवाब मिला कि “लोग कह रहे हैं कि अपने स्तर से जातिगत जनगणना कराइये. अरे भाई, जब तक आदरणीय प्रधानमंत्री जी से कोई बात नहीं हो जाये और कोई चीज निकल कर सामने न आ जाये तब तक हम कैसे फैसला ले लें. हम तो पहले ही कह चुके कि कई राज्यों ने अपने स्तर पर जातिगत जनगणना करायी है. हम केंद्र सरकार का इंतजार कर रहे हैं वहां से जब आखिरी फैसला आ जायेगा तो फिर हम अपने स्तर पर फैसला लेंगे.”
नीतीश कुमार ने कहा कि जातिगत जनगणना पर जब केंद्र सरकार का फाइनल डिसीजन आ जायेगा तो वे फिर से बिहार के राजनीतिक दलों से बात करेंगे. उसके बाद ये फैसला लेंगे कि बिहार में क्या करना चाहिये. सब पार्टी से बात करके ही फैसला लेंगे. लेकिन अभी इंतजार करेंगे.
बीजेपी को फंसा कर ही रहेंगे नीतीश
नीतीश कुमार जिस भाषा का प्रयोग कर रहे हैं उसे बीजेपी के नेता बेहतर समझ रहे होंगे. वे ये बता रहे हैं कि उन्होंने जातिगत जनगणना की मांग की है औऱ उनका पत्र प्रधानमंत्री को मिल गया है. प्रधानमंत्री ने उसकी पावती भी भेज दी है. अब अगर प्रधानमंत्री मिलने का टाइम नहीं देते हैं या फिर जातिगत जनगणना नहीं कराते हैं तो इसके लिए सिर्फ बीजेपी जिम्मेवार है. नीतीश यही मैसेज देना चाहते हैं.
केंद्र सरकार अगर जातिगत जनगणना कराने से इंकार करती है तो नीतीश ने नये सिरे से बीजेपी को फंसाने की प्लानिंग की है. नीतीश कह रहे हैं कि केंद्र सरकार के इंकार के बाद वे फिर से यहां की पार्टियों से बात करेंगे. जाहिर है उसमें बीजेपी भी शामिल होगी. जो बीजेपी दिल्ली से जातिगत जनगणना कराने से इंकार करेगी नीतीश पटना में उससे ऐसा करने को कहेंगे. वाकई दिलचस्प होगा कि बिहार बीजेपी अपने केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ जायेगा. अगर तब बिहार बीजेपी जातिगत जनगणना से इंकार करती है तो नीतीश उसे भी भुनायेंगे.
मामला पिछडे वर्ग के वोटबैंक की सियासत का है. 2014 के बाद से ही ये लगातार दिख रहा है कि बीजेपी ने पिछड़े वोट बैंक पर अपनी पकड़ लगातार मजबूत की है. इसका खामियाजा राजद के साथ साथ नीतीश कुमार को भी भुगतना पड़ा है. नीतीश जातिगत जनगणना का मामला उठाकर बीजेपी को पिछड़ों का विरोधी साबित करने पर तुले हैं. इसके लिए वे राजद के साथ खड़े नजर आ रहे हैं औऱ उन्हें इससे कोई परहेज होता नहीं दिख रहा है.