‘जातिवादी राजनीति और सनातन का विरोध हमें ले डूबा’ तीन राज्यों में करारी हार को लेकर कांग्रेस नेता ने नेतृत्व पर उठाए सवाल

‘जातिवादी राजनीति और सनातन का विरोध हमें ले डूबा’ तीन राज्यों में करारी हार को लेकर कांग्रेस नेता ने नेतृत्व पर उठाए सवाल

DESK: राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के शुरुआती रूझानों में कांग्रेस को मिली हार को देखकर पार्टी के भीतर हाहाकार की स्थिति हो गई है। पार्टी के नेता ही अपने शीर्ष नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं। तीन राज्यों में बीजेपी को मिली बढ़त और कांग्रेस को मिली करारी हार के लिए अपने ही नेता सवाल उठाने लगे हैं। कांग्रेस नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा है कि जातिवादी राजनीति और सनातन का विरोध हमें ले डूबा।


आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा है कि यह कांग्रेस की हार नहीं है बल्कि ये वामपंथ की हार है। कांग्रेस में पिछले कुछ दिनों से ऐसे नेता घुस आएं हैं जिनका बड़ा प्रभुत्व है। कांग्रेस के सभी फैसलों में उनकी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। वे कुछ नेता कांग्रेस को महात्मा गांधी के बताए रास्तों से हटाकर वामपंथ के रास्ते पर ले जाना चाहते हैं। जो कांग्रेस पार्टी महात्मा गांधी के बताए रास्ते पर चलकर यहां तक आई है। महात्मा गांधी के सभाओं की शुरुआत रघुपति राघव राजा राम से हुआ करती थी लेकिन आज कांग्रेस को सनातन के विरोधी पार्टी के रूप में जाना जा रहा है जो बहुत ही दुर्भाग्य की बात है।


उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने समय रहते अगर ऐसे नेताओं को पार्टी से बाहर नहीं निकाला तो बहुत जल्द कांग्रेस की भी हालत ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम जैसी हो जाएगी। कांग्रेस नेतृत्व को इसपर गंभीरता से विचार करना चाहिए। कांग्रेस को महात्मा गांधी के रास्ते से हटाकर मार्क्स के रास्ते पर ले जाने वाले जो नेता हैं उनको बाहर का रास्ता दिखाना चाहिए। भारत भावनाओं का देश है और सनातन का विरोध हमे ले डूबा। जातिवादी राजनीति को इस देश ने कभी भी स्वीकार नहीं किया है।


कांग्रेस नेता ने कहा कि 6 सितंबर 1990 को राजीव गांधी ने संसद में भाषण दिया था, उसे सुनकर सभी चीजे स्पष्ट हो जाएंगी। यह देश अगर जातिवादी होता तो विश्वनाथ प्रताप सिंह को गांव-गांव में पूजा जाता। विश्वनाथ प्रताप सिंह जब मंडल लेकर आए थे तो उनसे बड़ा जातिवाद का कोई नेता नहीं हुआ लेकिन उनकी हालत इस देश में क्या हो गई ये सभी लोगों के सामने है। इसलिए जातिवादी राजनीति और सनातन का विरोध हमें ले डूबा। पार्टी हार का विश्लेषण करेगी, फिलहाल इन राज्यों के जो प्रभारी हैं अगर उनमें जरा भी शर्म है तो उन्हें तत्काल पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।