PATNA: जातिगत गणना के मामले को लेकर लगातार तीन दिनों से सुनवाई जारी है। आज चौथे दिन भी इस मामले पर सुनवाई की गयी। मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की बेंच में सुनवाई हुई। इस दौरान एडवोकेट जनरल पीके शाही ने कहा कि सर्वेक्षण कराना राज्य सरकार का अधिकार है।
पीके शाही ने यह भी कहा कि आर्थिक और जातीय सर्वे जरूरी है यह कोई कास्ट सेंसस नहीं है। जातिगत गणना से किसी को कोई दिक्कत नहीं है। जातिगत गणना के बाद इसका लाभ भी दिखेगा। सरकारी योजनाओं से वंचित लोगों तक लाभ पहुंचाई जाएगी। इससे लोगों के हालत में सुधार होगा। पीके शाही ने कहा कि जातिगत सर्वेक्षण का काम अभी 80 प्रतिशत हो चुका है। बताया जा रहा है कि 10 जुलाई दिन सोमवार तक कोर्ट इस पर फैसला सुनाएगा।
मालूम हो कि, पटना हाईकोर्ट के तरफ से जाति आधारित गणना पर 4 मई को तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई थी। कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा था कि अब तक जो डेटा कलेक्ट हुआ है, उसे नष्ट नहीं किया जाए। उस वक्त तक 80 फीसदी से अधिक गणना का काम पूरा हो चुका था। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। जहां सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए याचिका पर सुनवाई करने से मना कर दिया था कि, यदि 3 जुलाई तक पटना हाईकोर्ट इस मामले पर सुनवाई नहीं करता है तो 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट मामले में सुनवाई करेगा। लेकिन, अब इस मामले में 3 जलाई को सुनवाई की गई है।