PATNA : आज बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का जन्मदिन है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीति इन्हीं वैचारिक मानदंडों को लेकर साथ चलती है। इसलिए 20 वर्षों के शासनकाल में आज भी ‘रोजगार’ सबसे महत्वपूर्ण मुद्दा है। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने समावेशी विकास की अवधारणा को मूर्त आकार दिया है।
नीतीश कुमार का जन्म 1 मार्च 1951 को हुआ था। राजनीति में प्रवेश करने से पहले नीतीश ने इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी की और बिहार राज्य विद्युत बोर्ड के लिए काम किया। 1970 के दशक के मध्य में जब उन्होंने इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार के खिलाफ जयप्रकाश नारायण के जन अभियान में भी भाग लिया था। मिशन 2024 के लिए नीतीश फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर एनडीए को मजबूत करने की कोशिश में लगे हुए हैं।
नीतीश कुमार बिहार में सबसे अधिक दिनों तक मुख्यमंत्री बने रहने का रिकार्ड बना चुके हैं। इसी के साथ उन्होंने बिहार में सबसे अधिक बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने का भी रिकार्ड बनाया है। जीतन राम मांझी के कुछ महीनों के कार्यकाल को छोड़ दें तो नीतीश कुमार करीब 16 वर्ष से बिहार के मुख्यमंत्री बने हुए हैं। लेकिन, क्या आपको पता है कि जनता दल यूनाइटेड के इस नेता को पहली बार इस पद तक पहुंचाने में उनकी खुद की पार्टी की बजाय एक सहयोगी दल के दो नेताओं का सबसे बड़ा रोल रहा।
नीतीश कुमार, पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के दौरान केंद्रीय मंत्रिमंडल में आए। अटल सरकार में उन्हें रेल मंत्रालय सहित अहम जिम्मेदारियां दी गईं। इसी दौरान उनकी लाल कृष्ण आडवाणी और अरुण जेटली से प्रगाढ़ता हुई। बिहार में लालू-राबड़ी राज को खत्म करने के लिए भाजपा-जदयू गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए किसका चेहरा आगे किया जाए, एक वक्त इस पर काफी रार मची। इस तकरार को शांत करने में आडवाणी और जेटली की भूमिका सबसे अहम मानी जाती है।
ऐसा कहा जाता है कि भाजपा-जदयू गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार का ऐलान चुनाव से पहले करना आसान नहीं था। यह वाकया 2004 से 2005 के बीच का है। जदयू के कई नेता खुद को मुख्यमंत्री पद के लिए आगे करने के प्रयास में जुटे थे। जदयू के तब के कद्दावर नेता जार्ज फर्नांडीज ने कह दिया था कि चुनाव के बाद विधायक बैठकर अपने नेता का चुनाव करेंगे। भाजपा के कई नेता भी इस आधार पर नीतीश कुमार का विरोध कर रहे थे, कि उनका नाम आगे करने पर अगड़ी जातियों के वोटर बिदक सकते हैं। लेकिन आडवाणी और जेटली ने न सिर्फ भाजपा बल्कि जदयू के नेताओं को भी मुख्यमंत्री के तौर नीतीश कुमार को स्वीकार करने के लिए तैयार किया। यह फैसला कामयाब साबित हुआ।
कब कितने दिन रहे मुख्यमंत्री
पहली बार - 3 मार्च 2000 से 10 मार्च 2000 - सात दिन
दूसरी बार - 24 नवंबर 2005 से 26 नवंबर 2010 - पांच वर्ष
तीसरी बार - नवंबर 2010 से मई 2014
चौथी बार - फरवरी 2015 से नवंबर 2015
पांचवीं बार - नवंबर 2015 से जुलाई 2017
छठी बार - जुलाई 2017 से नवंबर 2020
सावतीं बार - नवंबर 2020 से अगस्त 2022
आठंवी बार - अगस्त 2022 से जनवरी 2024
नौंवी बार - जनवरी 2024 से अब तक