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1st Bihar Published by: Updated Thu, 19 Aug 2021 12:45:49 PM IST
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PATNA : लालू यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल और उनके परिवार के अंदर अब दोनों बेटों के बीच सीधा टकराव देखने को मिल रहा है. अब तक के जो लड़ाई तेज प्रताप बनाम जगदानंद सिंह की थी. अब वह तेजस्वी बनाम तेज प्रताप की बन चुकी है. जगदानंद सिंह के बाद तेज प्रताप यादव ने तेजस्वी यादव के रणनीतिकार संजय यादव पर सीधा हमला बोला है.
तेज प्रताप यादव अब इतने ज्यादा भड़के हुए हैं कि उन्होंने सीधे-सीधे तेजस्वी यादव के रणनीतिकार संजय यादव पर हमला बोला है. तेज प्रताप ने ट्वीट करते हुए लिखा है की "जिस प्रवासी सलाहकार के इशारो पे पार्टी चल रही वो हरियाणा में अपने परिवार से किसी को सरपंच नहीं बनवा सकता वो ख़ाक मेरे अर्जुन को मुख्यमंत्री बनायेगा. वो प्रवासी सलाहकार सिर्फ लालू परिवार और राजद में मतभेद पैदा कर सकता है."
तेज प्रताप का सीधा आरोप है कि संजय यादव जो हरियाणा के रहने वाले हैं. उनके इशारों पर पार्टी चल रही है, उन्होंने संजय यादव की हैसियत बताते हुए लिखा है कि वह किसी को सरपंच तक नहीं बनवा सकते. लेकिन तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का सपना दिखा रहे हैं. तेज प्रताप ने आरोप लगाया है कि संजय यादव एक ऐसे प्रवासी सलाहकार है, जो लालू परिवार और आरजेडी में मतभेद पैदा करवा रहे हैं.
कौन हैं संजय यादव
सवाल ये उठता है कि संजय यादव हैं कौन? संजय यादव तेजस्वी यादव के राजनीतिक सलाहकार हैं. 37 साल के संजय यादव मूल रूप से हरियाणा के महेंद्रगढ़ ज़िले के नांगल सिरोही गाँव रहने वाले हैं और पिछले एक दशक से तेजस्वी यादव से जुड़े हुए हैं. दोनों की मुलाक़ात दिल्ली में 2010 में तब हुई थी, जब तेजस्वी यादव आईपीएल में अपना करियर तलाश रहे थे.
संजय यादव ने भोपाल यूनिवर्सिटी से कंप्यूटर साइंस में एमएससी और इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली से एमबीए करने के बाद तीन मल्टीनेशनल आईटी कंपनियों में नौकरी कर ली थी. अगले दो-तीन सालों में दोनों के बीच और करीबी हुई. 2012 में तेजस्वी यादव ने क्रिकेट छोड़कर पूरी तरह से राजनीति में आने का फैसला लिया तो उन्होंने संजय यादव को नौकरी छोड़कर साथ काम करने को कहा. इसके बाद संजय यादव इसके बाद अपना बोरिया-बिस्तर समेट कर 10 सर्कुलर रोड, पहुँच गए.
2015 के चुनाव में महागठबंधन की जीत का श्रेय भले ही प्रशांत किशोर ले गये लेकिन असल रणनीति संजय यादव ने बनायी थी. 2015 के चुनाव में आरजेडी ने बेहद सधे हुए तरीके से टिकट बांटा था और इसके पीछे संजय यादव का ही दिमाग काम कर रहा था.
लेकिन असली चुनौती इस दफे चुनाव में थी जब लालू यादव भी पटना में मौजूद नहीं थे. लेकिन रणनीति के स्तर पर पार्टी को उनकी कोई कमी नहीं खली. इसका श्रेय संजय यादव को ही जाता है. उन्होंने आरजेडी के पोस्टर पर सिर्फ तेजस्वी की तस्वीर लगाने का फैसला लिया था. जेडीयू-बीजेपी ने ताबड़तोड़ हमला बोला लेकिन आरजेडी अपने स्टैंड पर कायम रही.
संजय यादव चुनाव के दौरान न केवल तेजस्वी यादव की चुनावी सभाओं को मैनेज कर रहे थे बल्कि अलग अलग सभाओं में तेजस्वी को क्या बोलना चाहिए, इसकी रूपरेखा भी बना रहे थे.
तेजस्वी यादव हर दिन 17-18 सभाओं को संबोधित कर रहे थे और उसका कंटेंट मुहैया कराने के साथ-साथ तेजस्वी की बात पूरे बिहार तक पहुँचे, इसकी भी रणनीति तैयार रखी गयी थी. तेजस्वी की अगले दिन की सभायें, कहां जाना है और कहां नहीं जाना है. किस सभा में क्या बोलना है. सारी जिम्मेवारी संजय यादव के पास ही थी.