जब जगदा बाबू ने तेजस्वी के सामने आये कार्यकर्ताओं को ठेल दिया, खुद हाथ पकड़ कर ले गए आगे

जब जगदा बाबू ने तेजस्वी के सामने आये कार्यकर्ताओं को ठेल दिया, खुद हाथ पकड़ कर ले गए आगे

PATNA : जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती में प्रदेश पार्टी कार्यालय में पहुंचे आरजेडी नेता तेजस्वी यादव को जब अफऱा-तफरी का सामना करना पड़ा तो प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह अचानक से एक्टिव हो गए। तेजस्वी की राह आसान करते हुए जगदा बाबू कार्यकर्ताओं को ठेलते हुए तेजस्वी का हाथ पकड़ कर आगे की ओर ले गए।


दरअसल प्रदेश कार्यालय में कर्पूरी ठाकुर की जयंती समारोह का कार्यक्रम आयोजित था।कार्यक्रम में बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता पहुंचे थे। बेसब्री से तेजस्वी यादव का इंतजार किया जा रहा था। तेजस्वी पहुंचे तो अचानक कार्यकर्ताओं में जोश भर गया। सभी तेजस्वी के करीब पहुंचने को बेताब होने लगे । इसी दौरान वहां अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया।अनुशासन पसंद पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह को कार्यकर्ताओं की ये नाफरमानी पसंद नहीं आयी। अचानक से वे आगे आए और खुद के दम पर कार्यकर्ताओं को किनारे लगा दिया। उसके बाद प्रदेश अध्यक्ष तेजस्वी का हाथ पकड़ कर आगे की ओर ले गए।इसके बाद सबकुछ शांत हो गया, हालांकि इस दौरान थोड़ी देर तक पार्टी कार्यालय में अफरा-तफरी का माहौल कायम हो गया।


आरजेडी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह बेहद अनुशासित व्यक्ति माने जाते हैं। उनके प्रदेश अध्यक्ष बनने पर आरजेडी के कार्यकर्ताओं ने भी कहा था कि जगदानंद सिंह को अनुशासन के दायरे में रहकर काम करना और काम करवाना पसंद है। जगदानंद सिंह की कार्यशैली में यह दिखता भी रहा है कि वे कितने अनुशासनप्रिय व्यक्ति हैं। जगदानंद सिंह लगातार आरजेडी कार्यकर्ताओं को अनुशासन का पाठ पढ़ाते रहे हैं।


कुछ दिनों पहले की ही बात है जब राजद प्रदेश कार्यालय में सावित्री बाई फूले की जयंती कार्यक्रम के दौरान अनुशासन प्रिय जगदानंद सिंह सबसे पीछे खड़े कतार में दिखे थे। दरअसल प्रदेश अध्यक्ष ने जयंती कार्यक्रम में किसी तरह की परेशानी न हो इसके लिए कार्यकर्ताओं को सिस्टम और नियम फॉलो करने का आदेश दिया था। लेकिन जब कार्यकर्ता इसके लिए तैयार नहीं हो रहे थे तो वे खुद आगे आए।इसके बाद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह खुद चेंबर से बाहर निकले और सबसे पीछे खड़े हो गए थे । अध्यक्ष के कतार में खड़े होते ही कार्यकर्ता खुद-ब-खुद लाइन में लग गए थे और कुछ अंदाज में उनके अनुशासन का पाठ प्रत्य़क्ष तौर पर देखने को मिला था।