PATNA : गांधी जयंती के मौके पर बिहार सरकार के तरफ जातीय गणना का रिपोर्ट पेश किया गया। इस रिपोर्ट में यादव समुदाय की संख्या सबसे अधिक दिखाई गई अन्य समाज के लोगों की तुलना में उसके बाद इसको लेकर विवाद शुरू हो गया। राज्य की विपक्षी पार्टी तो दूर सत्ता में शामिल दल जे नेता भी इसको लेकर सवाल उठाने लगे। इस बीच अब नीतीश सरकार ने यह साफ़ कर दिया है कि - जातीय गणना की रिपोर्ट की कोई समीक्षा नहीं होगी। सरकार के तरफ से जो डाटा दिया है वह सही है। इसमें कहीं भी सुधार करने की जरूरत नहीं है।
दरअसल, बिहार में जाति आधारित सर्वेक्षण यानी जातीय गणना की रिपोर्ट से जाति, समुदाय और धर्म की संख्या और आबादी में शेयर की संख्या जारी होने के बाद से विपक्षी दल के साथ-साथ आरजेडी और जेडीयू के कुछ नेता आंकड़ों पर सवाल उठा रहे हैं। ज्यादातर नेता किसी ना किसी जाति की संख्या कम दिखाने का आरोप लगा रहे हैं। ऐसे में अब इसको लेकर बिहार के मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने एक दैनिक समाचार पत्र से बातचीत करते हुए कहा कि - जाति सर्वेक्षण डेटा की समीक्षा की कोई जरूरत सरकार महसूस नहीं करती है।
सुबहानी ने कहा- "सरकार जाति सर्वेक्षण डेटा की किसी भी तरह की समीक्षा की जरूरत महसूस नहीं करती है। अपनी तरह का यह पहला सर्वे वैज्ञानिक तरीकों से किया गया है।" इसलिए जाति सर्वेक्षण डेटा की समीक्षा की कोई जरूरत सरकार महसूस नहीं करती है। इसके आलावा फिलहाल इसको लेकर कुछ नहीं कहा जा सकता है।
वहीं, बिहार जातीय गणना के दूसरे चरण के डेटा अभी जारी नहीं हुए हैं जिसमें लोगों की शैक्षणिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति का डेटा होगा। सभी दलों की नजर उस डेटा के रिलीज होने पर है क्योंकि यही वो नंबर होंगे जिसको आधार बनाकर नीतीश कुमार सरकारी योजनाओं में जरिए उनकी हालत सुधारने का काम शुरू करेंगे। सामान्य प्रशासन विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि सारा डेटा तैयार है और सरकार जब चाहेगी इसे जारी कर सकती है।
मालूम हो कि, इस रिपोर्ट को लेकर राजधानी में पटना में हर रोज किसी न किसी जाति के लोग धरना दे रहे हैं। रालोजद प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने 11 अक्टूबर को पूरे बिहार में हर जिले में धरना और 14 अक्टूबर को पटना में राजभवन मार्च करने का ऐलान किया है। जेडीयू सांसद सुनील पिंटू ने तेली समाज की संख्या आधी दिखाने का आरोप लगाया है तो आरजेडी के एमएलसी रामबली सिंह चंद्रवंशी भी जातीय गणना के आंकड़ों में घालमेल का आरोप लगा रहे हैं।
आपको बताते चलें कि, बिहार सरकार ने 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन जातीय सर्वेक्षण से जाति, समुदाय और धर्म की संख्या और आबादी में हिस्सेदारी के नंबर जारी कर दिया था। महागठबंधन सरकार के इस कदम को 2024 के लोकसभा चुनाव के लिहाज से इंडिया गठबंधन की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है। बिहार के बाद कांग्रेस ने जातीय जनगणना की मांग पकड़ ली है और उसके कई नेता दूसरे राज्यों में बिहार की तरह ही गणना कराने की बात करने लगे हैं।