आतंकी हमले के खिलाफ छातापुर में कैंडल मार्च, यह निर्दोष लोगों पर नहीं, बल्कि पूरे भारतवर्ष की आत्मा पर हमला है: संजीव मिश्रा सीतामढ़ी में ट्रांसजेंडर से अवैध संबंध के चलते युवक की हत्या, पूजा समेत चार आरोपी गिरफ्तार Pahalgam Terror Attack: अटारी-वाघा बॉर्डर बंद होने से वापस लौट गई शैतान सिंह की बारात, बेकार गया 4 साल लंबा इंतजार IAS अधिकारी KK पाठक की बिहार से विदाई, अब केंद्र में निभाएंगे नई जिम्मेदारी Paghalgam Terror Attack: भारत इस दिन कर सकता है पाकिस्तान पर हमला, पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त का बड़ा दावा बिहार में समलैंगिक विवाह का मामला: 3 बच्चों की मां ने नाबालिग लड़की से की शादी Pahalgam Terror Attack: “चलो मंदिर चलते हैं”, कैसे भगवान शिव के आशीर्वाद ने बचा ली इस कपल की जान, पढ़कर आप भी कहेंगे “हर हर महादेव” हाजीपुर-शाहपुर पटोरी-बरौनी-मानसी के रास्ते दानापुर और सहरसा के बीच चलायी जा रही स्पेशल ट्रेन का विस्तार, 29 अप्रैल से सुपौल तक परिचालन बिहार में भीषण गर्मी का सितम: औरंगाबाद में पारा 46.2 डिग्री पार, पटना के संपतचक में 45.7 °C, रात में बारिश होने की संभावना Mohan Bhagwat: ‘पड़ोसियों को हम तंग नहीं करते लेकिन दंड देना राजा का कर्तब्य’ RSS प्रमुख मोहन भागवत का बड़ा बयान
1st Bihar Published by: Updated Sun, 07 Aug 2022 09:57:45 AM IST
- फ़ोटो
DESK : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज यानि 7 अगस्त को अपने पहले छोटे रॉकेट लांच कर दिया. इस रॉकेट का नाम 'स्माल सैटेलाइट लांच व्हीकल' है. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर के लॉन्च पैड लॉन्चिंग सफलतापूर्वक की गई. यह SSLV एक पृथ्वी अवलोकन सैटेसाइट और छात्रों द्वारा बनाया एक उपग्रह लेकर जाएगा. इसरो ने 500 किलोग्राम तक के उपग्रहों को पृथ्वी की निचली कक्षा में 500 किलोमीटर तक स्थापित करने का मिशन शुरू किया है. उसका उद्देश्य तेजी से बढ़ते एसएसएलवी बाजार का बड़ा हिस्सा बनना है.
SSLV उपग्रह छह मीटर रिजोल्यूशन वाला एक इन्फ्रारेड कैमरा लेकर जा रहा है, जिसका रेजोल्यूशन 6 मीटर है. यानी ये रात में भी निगरानी कर सकता है. उस पर एक स्पेसकिड्ज इंडिया द्वारा संचालित सरकारी स्कूलों के 750 छात्रों द्वारा निर्मित आठ किलोग्राम का आजादी सैट सैटेलाइट भी है. SSLV 34 मीटर लंबा है जो PSLV से लगभग 10 मीटर कम है और PSLV के 2.8 मीटर की तुलना में इसका व्यास दो मीटर है. इस परियोजना का महत्व यह है कि इसे स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर आजादी के अमृत महोत्सव के तहत बनाया गया है.
बता दें कि यह देश का पहला स्मॉल सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल है. इससे पहले छोटे उपग्रह सुन सिंक्रोनस ऑर्बिट तक के लिए पीएसएलवी पर निर्भर थे तो बड़े मिशन जियो सिंक्रोनस ऑर्बिट के लिए जीएसएलवी और जीएसएलवी मार्क 3 का इस्तेमाल होता था. जहां पीएसएलवी को लॉन्च पैड तक लाने और असेंबल करने में दो से तीन महीनों का वक्त लगता है, वहीं एसएसएलवी महज 24 से 72 घंटों के भीतर असेंबल किया जा सकता है.