IPS आनंद मिश्रा ने रिटायरमेंट के लिए दिया आवेदन, इस लोकसभा सीट से लड़ सकते हैं चुनाव; कट सकता है BJP के इस सीनियर लीडर का पत्ता

IPS आनंद मिश्रा ने रिटायरमेंट के लिए दिया आवेदन, इस लोकसभा सीट से लड़ सकते हैं चुनाव; कट सकता है BJP के इस सीनियर लीडर का पत्ता

PATNA : लोकसभा चुनाव में अब महज कुछ महीने का समय बचा हुआ है। ऐसे में इस चुनाव को लेकर देश की तमाम छोटी - बड़ी पार्टी अपनी चुनावी रणनीति को जमीनी स्तर पर उतराने में जूट गई है। इस बीच बिहार के बक्सर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाओं के बीच एक आईपीएस आनंद मिश्रा ने रिटायरमेंट के लिए आवेदन दे दिया है। वह फिलहाल असम के लखीमपुर जिले में बतौर एसपी तैनात हैं।


दरअसल, आईपीएस आनंद मिश्रा मूल रूप से बिहार के भोजपुर जिले के शाहपुर प्रखंड अंतर्गत पड़सौरा गांव के रहने वाले हैं। हालांकि, इनकी परवरिश और शिक्षा कोलकाता में हुई है। उनकी गिनती असम के बेहद तेज तर्रार पुलिस अफसर में होती है। ऐसे में असम-मेघालय कैडर में 2011 आरआर बैच के भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी आनंद मिश्रा ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के लिए आवेदन दिया है। इसके बाद अब इनके बक्सर संसदीय सीट से चुनाव लड़ने की चर्चा तेज है। 


बताया जा रहा है कि, आईपीएस आनंद मिश्रा खरमास खत्म होते ही 16 जनवरी 2024 के प्रभाव से अपना त्यागपत्र मंजूर करने के लिए असम सरकार से अनुरोध किया है। उन्होंने अपना त्यागपत्र असम सरकार के मुख्य सचिव को दिया है। वह फिलहाल असम के लखीमपुर जिले में बताओ एसपी तैनात हैं। इनका भाजपा के कई बड़े नेताओं से उनके बहुत बेहतर संबंध हैं। उन्होंने अपने आवेदन में निजी जीवन में स्वतंत्रता और सामाजिक सरोकार पर अपना ध्यान केंद्रित करने की बात कही है।


माना जा रहा है कि, इस नई जिम्मेदारी में जाने के बाद उनके लिए बक्सर संसदीय क्षेत्र में अपनी गतिविधियों को पहले की तरह जारी रखने में मुश्किल होती। बक्सर लोकसभा सीट को ब्राह्मण बहुल माना जाता है। इस सीट से बीते साथ में से 6 चुनाव भारतीय जनता पार्टी के ब्राह्मण प्रत्याशियों ने जीते हैं। फिलहाल यहां से भाजपा के अश्विनी चौबे सांसद हैं।


आपको बताते चलें कि, बक्सर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए इससे पहले भी कई अधिकारी सुरक्षित सेवानिवृत्ति ले चुके हैं। इनमें केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रहे यूपी सिंह और बिहार के डीजीपी रहे गुप्तेश्वर पांडे का नाम शामिल है। लेकिन, अंतिम समय में गुप्तेश्वर पांडे का पत्ता काट दिया गया था।