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1st Bihar Published by: Updated Sat, 05 Nov 2022 08:10:54 AM IST
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PATNA : बिहार के डीजीपी के साथ फर्जीवाड़े के मामले में आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार की मुश्किल और ज्यादा बढ़ गई है। पटना की एक विशेष अदालत में आदित्य कुमार की गिरफ्तारी के लिए गैर जमानती वारंट जारी किया है। उधर आर्थिक अपराध इकाई ने भी आईपीएस अधिकारी की गिरफ्तारी के लिए स्पेशल टीम का गठन किया है। उनकी गिरफ्तारी के लिए जगह-जगह छापेमारी की जा रही है।
फरार आईपीएस को पकड़ने के लिए आर्थिक अपराध इकाई के अफसरों को इस टीम में शामिल किया गया है। बिहार के अलावा कई अन्य राज्यों में उनकी गिरफ्तारी के लिए छापेमारी चल रही है। आदित्य कुमार को जल्द से जल्द गिरफ्तार करने के उद्देश्य से विशेष टीम में तेज-तर्रार अफसरों को शामिल किया गया है। ईओयू के फरार आईपीएस अधिकारी की तलाश में टेक्निकल इंटेलिजेंस का भी मदद ले रही है।
एडीजी मुख्यालय जेएस गंगवार ने कल यानी शुक्रवार को पटेल भवन में प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें उन्होंने बताया कि आईपीएस आदित्य कुमार की गिरफ्तारी जल्द कर ली जाएगी। इसकी पूरी कोशिश जारी है। उन्होंने कहा कि ईओयू के एडीजी नैयर हसनैन खान ने इसके लिए विशेष टीम का गठन किया है, जो सिर्फ बिहार में ही नहीं बल्कि दूसरे राज्यों में भी छापेमारी कर सकती है।
पूरा मामला जानिए
करीब पांच महीने पहले बिहार सरकार ने गया के एसएसपी रहे आदित्य कुमार के खिलाफ शराब मामले में एफआईआर करने का आदेश दिया था। गया के एसएसपी रहे आदित्य कुमार पर शराब के एक मामले को रफा-दफा करने का आऱोप था। मामला करीब 18 महीने पुराना था। दरअसल गया के फतेहपुर थाने में 8 मार्च 2021 को एक बाइक को शराब के साथ पकड़ा गया था। फतेहपुर के तत्कालीन थानेदार संजय कुमार ने इस मामले में प्राथमिकी दर्ज करने के बजाय सिर्फ सनहा दर्ज कर घटना की लीपापोती कर दी। बाद में उसी थाने में 26 मार्च 2021 को शराब से भरी एक सैंट्रो कार पकड़ी गयी। थानेदार ने फिर कोई एफआईआर दर्ज नहीं किया और सनहा दर्ज कर काम पूरा कर लिया।
उस वक्त आदित्य कुमार गया के एसएसपी थे। फतेहपुर के थानेदार संजय कुमार उऩके बेहद खास बताये जाते थे। संजय कुमार के कारनामे रफा दफा हो गये होते लेकिन बात बिहार पुलिस के हेडक्वार्टर तक पहुंची। जब उपर तक बात पहुंची तो फतेहपुर के तत्कालीन थानेदार के खिलाफ जांच का आदेश दिया गया। गया के तत्कालीन एएसपी मनीष कुमार ने फतेहपुर थानेदार के कारनामों की जांच की। जांच में उन्हें दोषी पाया और कार्रवाई की अनुशंसा कर दी, लेकिन एसएसपी ने थानेदार संजय कुमार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।
इसी बीच मामले की जानकारी मगध प्रक्षेत्र के आईजी अमित लोढ़ा तक पहुंची। जब आईजी ने एसएसपी से इस बाबत पूछताछ की तब भी थानेदार महफूज रहे। आईजी के हस्तक्षेप के बावजूद एसएसपी आदित्य कुमार ने थानेदार संजय कुमार को निलंबित या बर्खास्त करने के बजाय उन्हें सिर्फ लाइन हाजिर कर छोड़ दिया। हद देखिये लाइऩ हाजिर होने के 15 दिन बाद एसएसपी ने संजय कुमार को बाराचट्टी थाने में तैनात कर दिया. तब आईजी ने हस्तक्षेप करते हुए संजय कुमार का तबादला औरंगाबाद कर दिया था। इस मामले में आईजी औऱ एसएसपी के बीच खुली तकरार के बाद राज्य सरकार ने दोनों का ट्रांसफर कर दिया था।
राज्य सरकार ने अपने स्तर से पूरे मामले की जांच भी करायी थी. इसी जांच में एसएसपी आदित्य कुमार के कारनामे सामने आये. एसएसपी ने शराब के मामले में कैसे थानेदार को बचाया ये बात भी जांच में सामने आयी. तब राज्य सरकार के निर्देश पर गया के फतेहपुर थाने में तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार और तत्कालीन थानेदार संजय कुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दी गयी।
अभिषेक के फोन कॉल पर आरोप मुक्त हो गये एसएसपी
गया के तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार के खिलाफ जांच चल ही रही थी कि सितंबर महीने में दूसरी खबर आय़ी। खबर ये आयी कि डीजीपी के स्तर से गया के तत्कालीन एसएसपी आदित्य कुमार के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया गया है। उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को मिस्टेक ऑफ लॉ यानि कानूनी भूल करार दिया गया।