आइआइटी की टीम बना रही चकबंदी के लिए सॉफ्टवेयर, बिहार में तकनीक के सहारे दूर होगा जमीन विवाद

आइआइटी की टीम बना रही चकबंदी के लिए सॉफ्टवेयर, बिहार में तकनीक के सहारे दूर होगा जमीन विवाद

PATNA : दो दिन पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मानव विकास मिशन की बैठक में जमीन संबंधी विवाद के कारण अपराधिक घटनाओं पर चिंता जताई थी। मुख्यमंत्री ने कहा था कि जमीन सर्वे का काम जल्द पूरा होना चाहिए और इससे जुड़े विवादों को खत्म कर ही अपराध पर काबू पाया जा सकता है। बिहार में चकबंदी के लिए अब राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग आईआईटी रुड़की की मदद ले रहा है। भूमि सर्वेक्षण के बाद सरकार चकबंदी के लिए अभियान चलाएगी। आईआईटी रुड़की को इसका जिम्मा दिया गया है। आईआईटी की टीम ने इसके लिए सॉफ्टवेयर भी डिवेलप कर लिया है। इस सॉफ्टवेयर का नाम है.. चक बिहार। 


बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री रामसूरत राय के मुताबिक हर साल 12 हजार गांवों की चकबंदी इस सॉफ्टवेयर के जरिए की जाएगी। राज्य में 45103 राजस्व गांव है लिहाजा इस लक्ष्य को पूरा करने में 4 साल का वक्त लगेगा। आईआईटी रुड़की और राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के चकबंदी निदेशालय के बीच होने वाले करार के मसौदे को विभागीय मंत्री ने मंजूरी भी दे दी है। कैबिनेट की इजाजत मिलते ही आईआईटी की टीम काम शुरू कर देगी।


इस सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल से चकबंदी में मानवीय हस्तक्षेप महज 20 फीसदी रह जाएगा। ज्यादातर काम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से होगा। फिलहाल सौ फीसदी काम अमीन और दूसरे कर्मचारी करते हैं और जिसके बारे में लगातार शिकायतें भी मिलती रहती हैं। सरकार ने चकबंदी अधिनियम की धारा में संशोधन भी किया है। चकबंदी अधिनियम की धारा 15 में संशोधन किया गया है। इसके लागू होने के बाद अनुमंडल पदाधिकारी एवं भूमि सुधार उप समाहर्ता को चकबंदी के बाद चकों को दखल कब्जा दिलाने के काम में शामिल किया जाएगा। पहले गांव की एडवाइजरी कमेटी का गठन चकबंदी पदाधिकारी करते थे। संशोधन के बाद पंचायतों के चुने हुए जनप्रतिनिधि एडवाइजरी कमेटी के पदेन सदस्य होंगे।