IAS केके पाठक पर उपेंद्र कुशवाहा भी बरसे, बोले ... खाते हैं बिहार का और गाते हैं कहीं और का, CM नीतीश तुरंत लें एक्शन

IAS केके पाठक पर उपेंद्र कुशवाहा भी बरसे, बोले ... खाते हैं बिहार का और गाते हैं कहीं और का, CM नीतीश तुरंत लें एक्शन

PATNA : बिहार के एक बड़े आईएएस अधिकारी केके पाठक का बिहारियों एवं डिप्टी कलेक्टर को गाली देने के वीडियो वायरल होने के बाद अब सियासी बबाल शुरू हो गया है। इस बीच अब जेडीयू में बगाबत का सुर अलाप रहे संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने भी इस पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा कि ये खाते हैं बिहार का और गाते हैं चेन्नई का, यह बिहार वासियों का अपमान है। बिहार के सीएम नीतीश कुमार को तुरंत आईएएस केके पाठक के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए।


दरअसल, बिहार में आईएएस अधिकारी केके पाठक एक ऑनलाइन मीटिंग में शामिल होने पर सड़क पर ढंग से चलने को लेकर प्रदेश वासियों को गाली दे रहे हैं। वे चेन्नई के लोगों का उदाहरण देकर कहते हैं कि, चेन्नई में आदमी बाएं से चलता है, यहां किसी को बाएं से चलते देखे हो। वे बार-बार कुर्सी पर उठ बैठ रहे हैं।बैठक के दौरान केके पाठक कई बार बिहार के लोगों और डिप्टी कलेक्टर को गाली दे रहे हैं।इसके साथ ही वे अन्य अधिकारियों से सवाल भी पूछ रहे हैं। इसको लेकर अब बिहार के सियासी गलियारों में इनको लेकर चर्चा शुरू कर दी गई।  इसी चर्चा में उपेंद्र कुशवाहा ने भी अपनी भागेदारी बताई है। 


जेडीयू नेता उपेंद्र कुशवाहा ने गुरुवार को ट्वीट कर लिखा, "ऐसे ही अधिकारी बिहार को चला रहे हैं। जब एडीएम स्तर के अधिकारियों के बारे में बोलते हुए ये 36 सेकेंड में आठ बार गाली बोलते हैं, तब हमारे कार्यकर्ताओं की कितनी इज्जत करते होंगे, यह समझा जा सकता है। खाते हैं बिहार का और गाते हैं चेन्नई का। तमाम बिहार वासियों का अपमान है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को इनप अविलंब कार्रवाई करनी चाहिए।


आपको बताते चलें कि, सभी दलों के नेता एकसुर में गालीबाज आईएएस केके पाठक की निंदा कर रहे हैं। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने आरोप लगाया है कि बिहार में राजनीतिक अस्थिरता की वजह से प्रशासनिक अराजकता की स्थिति है। प्रशासन बेलगाम और बदजुबान हो गया है। एक सीनियर आईएएस अधिकारी द्वारा अपशब्दों का प्रयोग दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है। धरातल पर विकास को गति राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी ही देते हैं, मगर टकराव की स्थिति में न केवल अराजकता बढ़ेगी बल्कि विधि-व्यवस्था के संधारण से लेकर विकास कार्य तक प्रभावित होगा।