हाथरस भगदड़ कांड: SIT ने सूरजपाल को दी क्लीन चिट, 300 पन्नों की रिपोर्ट में बाबा का जिक्र नहीं; अफसरों और आयोजकों पर सवाल

हाथरस भगदड़ कांड: SIT ने सूरजपाल को दी क्लीन चिट, 300 पन्नों की रिपोर्ट में बाबा का जिक्र नहीं; अफसरों और आयोजकों पर सवाल

DESK: उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी जबकि कई लोग घायल हुए थे। इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। सरकार ने हादसे की जांच के लिए जिस एसआईटी का गठन किया था, उसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। तीन सौ पन्नों की रिपोर्ट में अफसरों और आयोजन समिति को जिम्मेवार बताया गया है लेकिन बाबा भोले को क्लीन चीट दे दी गई है।


दरअसल, बीते 2 जुलाई कोउत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ में आयोजित एक सत्यसंग के दौरान भगदड़ मच गई। जिसमें अबतक 123 लोगों की जान चली गई है वहीं दर्जनों लोग घायल हुए हैं। हाथरस के सिकंदराराऊ थाने में दो जुलाई की देर रात ब्रजेश पांडेय नाम के शख्स ने केस दर्ज कराया, जिसमें सिकंदराराऊ के दमदपुरा के रहने वाले मुख्य सेवादार देवप्रकाश को आरोपी बनाया गया है लेकिन सत्संग करने वाले भोले बाबा का नाम शामिल नहीं था।


सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत के मुख्य आरोपी देव प्रकाश मधुकर को यूपी पुलिस ने शुक्रवार की देर रात अरेस्ट कर दिया। उत्तर प्रदेश सरकार ने मधुकर के ऊपर एक लाख का इनाम घोषित किया था।दिल्ली के नजफगढ़-उत्तमनगर के बीच स्थित एक अस्पताल में मधुकर ने पुलिस के सामने सरेंडर किया, जिसके बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया था। कोर्ट ने मधुकर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है।


उत्तर प्रदेश सरकार ने हादसे की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया था। एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है हालांकि इस रिपोर्ट में सूरजपाल उर्फ साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा के नाम तक का जिक्र भी नहीं किया गया है। रिपोर्ट में 119 लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं, जिसमें मृतकों के परिजनों और घायलों के अलावा डीएम, एसपी, एसडीएम, सीओ और हादसे वाले दिन ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों के बयान भी शामिल हैं।


रिपोर्ट में आयोजन कमेटी के द्वारा अनुमति से अधिक लोगों को सत्संग में बुलाने, सुरक्षा को लेकर किसी तरह का इंतजाम नहीं करने और अनुमति देने के बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा स्थल का निरीक्षण नहीं करने को घटना का जिम्मेवार बताया गया है। एसआईटी में आगरा जोन के एडीजी और अलीगढ़ कमीशनर भी शामिल थीं। एसआईटी की रिपोर्ट में बाबा को क्लीन चीट दे दी गई है और उसके नाम तक का जिक्र नहीं किया गया है।