घूसखोर SP गिरफ्तार, छोटी मछली के बाद बड़े मगरमच्छ पर कार्रवाई, दोनों हाथ से गुलाबी नोट बटोर रहे थे बड़े साहब

घूसखोर SP गिरफ्तार, छोटी मछली के बाद बड़े मगरमच्छ पर कार्रवाई, दोनों हाथ से गुलाबी नोट बटोर रहे थे बड़े साहब

DESK : भ्रष्टाचार के एक बड़े मामले का खुलासा हुआ है. प्रशासन और पुलिस मिलकर दोनों हाथों से रिश्वत बटोर रहे थे, जिसका भंडा फूट गया है. रिश्वतखोरी के एक बहुत ही बड़े मामले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो यानी कि ACB ने आईपीएस अफसर मनीष अग्रवाल को गिरफ्तार किया है. इनकी गिरफ़्तारी के बाद पुलिस महकमे में हड़कंप मच गई है. ब्यूरो के महानिदेशक बीएल सोनी ने बताया कि अग्रवाल को घूस लेने के मामले में गिरफ्तार किया गया है. एसीबी की एक टीम उनके घर में छापेमारी कर रही है. जयपुर की एक अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में गिरफ्तार किये गये आईपीएस मनीष अग्रवाल को दो दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया है.


आईपीएस मनीष पर राजस्थान के दौसा में एसपी रहते हुये रिश्वतखोरी का आरोप हैं. हाइवे निर्माण कंपनी से रिश्वत मांगने वाले दो आरएएस अफसरों की गिरफ्तारी और मनीष अग्रवाल के लिये वसूली करने वाले दलाल के पकड़े जाने के 20 दिन बाद यह कार्रवाई हुई है. भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के डीजी बीएल सोनी ने बताया कि हाइवे निर्माण कंपनी के मालिक से तत्कालीन पुलिस अधीक्षक दौसा मनीष अग्रवाल के नाम से दलाल नीरज मीणा की ओर से 4 लाख रुपये मासिक बंधी और प्रति एफआईआर में मामला रफा-दफा करने की एवज में 10 लाख रुपये की मांग की थी. 7 महीने के 4 लाख रुपये प्रतिमाह के हिसाब से 28 लाख रुपये और एक एफआईआर के रफा-दफा करने पर 10 लाख रुपये रिश्वत मागी गई थी. यानी कुल 38 लाख रुपये रिश्वत के तौर पर कंपनी से मांगे गए थे.


दौसा में आईपीएस मनीष अग्रवाल का एसपी के रूप 6 महीने का कार्यकाल काफी विवादों में रहा था. पहला विवाद तबादला सूची को लेकर था जब दौसा जिले में स्थानीय चुनाव थे और आचार संहिता के बावजूद भी बिना आईजी की अनुमति से तबादला सूची जारी कर दी थी. वहीं एक ही एसएचओ को बार-बार बदला जा रहा था. इस मामले में भी तत्कालीन डीजीपी के हस्तक्षेप के बाद तबादला सूची निरस्त हुई थी. इसके अलावा सिकंदरा थाना क्षेत्र के दुष्कर्म के एक मामले में भी आईपीएस मनीष अग्रवाल पर 25 लाख रुपए की रिश्वत मांगने का आरोप लगा था, जिसकी जांच पुलिस की सतर्कता कर रही है.


भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर पूर्व में भी विवादित रह चुके मनीष अग्रवाल पिछले काफी समय से एसीबी के राडार पर थे. करीब 20 दिन पहले एसीबी ने उनके लिये दलाली करने वाल एक एजेंट को पकड़ा था. बाद में एसीसी ने मनीष अग्रवाल के मोबाइल भी जब्त कर लिये थे. ब्यूरो की टीम ने दोनों की बातचीत के आधार पर सभी सबूत जुटाने के बाद मंगलवार को मनीष अग्रवाल को अपनी गिरफ्त में ले लिया था.


आपको बता दें कि भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने 13 जनवरी को ACB की जयपुर देहात इकाई ने दौसा के एसडीएम पुष्कर मित्‍तल को परिवादी से पांच लाख रूपये की कथित रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा. बांदीकुई की एसडीएम पिंकी मीणा को 10 लाख रूपये रिश्वत मांगते हुए गिरफ्तार किया गया था. पिछले महीने दौसा में एक पेट्रोल पंप मालिक नीरज मीणा को गिरफ्तार किया था, जिसने दौसा के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक मनीष अग्रवाल के नाम से राजमार्ग बनाने वाली निर्माण कंपनी से कथित रूप से जबरदस्ती वसूली की थी.


बांदीकुई एसडीएम पिंकी मीणा और दौसा एसडीएम पुष्कर मित्तल की गिरफ़्तारी के बाद पक्षपात का आरोप लगा था. दौसा सांसद ने पिंकी मीणा और पुष्कर मित्तल की गिरफ्तारी और मनीष अग्रवार पर कोई एक्शन नहीं लेने पर प्रदर्शन किया था. उन्होंने एसीबी पर छोटी मछली पकड़ने और बड़े मगरमच्छ पर कोई कार्रवाई नहीं कर भेदभाव का आरोप लगाया था.