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1st Bihar Published by: 3 Updated Sat, 20 Jul 2019 03:06:08 PM IST
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GAYA: अब तक आपने देखा होगा कि दादा, दादी अपने पोते-पोतियों को पढ़ने के लिए स्कूल छोड़ने जाते हैं. पर यहां हम आपको ऐसी दादी और मां के बारे में बताने जा रहे हैं जिनके बच्चे उन्हें स्कूल छोड़ने जाते हैं. घर के बच्चे हर रोज अपनी दादी और मां को पढ़ाई करने के लिए स्कूल पहुंचाते हैं. https://www.youtube.com/watch?v=L-BjNDqzW1s&t=7s मां और दादी का स्कूल यह स्कूल बोधगया के बतसपुर गांव में है. जहां घर की महिलाएं को स्कूल छोड़ने उनके बच्चे जाते हैं. यह स्कूल जापान के निक्को संस्था द्वारा संचालित किया जा रहा है. इस स्कूल में बूढ़ी महिलाएं अपने घर का काम काज निपटा कर हाथों में किताबें लेकर पढ़ने आती है. पढ़ने आने पर गांव की महिलाएं देती हैं ताने इस स्कूल में पढ़ने वाली महिलाओं ने बताया कि वह पढ़ी-लिखी नहीं थी, जिसका उन्हें बहुत मलाल होता था. पर जब उन्हें मौका मिला तो वे भी पढ़ने के लिए आगे आईं. महिलाओं ने बताया कि जब वे पढ़ने के लिए स्कूल जाने लगी तो गंव की ही कुछ महिलाएं उन्हें ताने भी दिया करती थी कि बुढ़ापे में पढ़ने की क्या जरुरत है. पर सभी ताने को हमने अनसुना कर पढ़ने की ठानी और आज हम अपना नाम लिखना जान गए हैं. यहां पढ़ना हमें बहुत अच्छा लगता है. पिछले एक महीने से संचालित इस स्कूल में करीब 20 से 25 महिलाएं हौसला दिखा कर यहां पढ़ रही हैं. पति को होती है खुशी स्कूल में अपनी पत्नी से घर का चाभी लेने आए एक पति ने बताया कि जब वह खेत पर काम करने जाता है तब उसकी पत्नी घर का सारा काम खत्म कर यहां पढ़ने आती है. इस उम्र में अपनी पत्नी को पढ़ता देख हमें बहुत अच्छा लग रहा है. वहीं संस्था से जुड़े कोर्डिनेटर ने बताया कि जापानी संस्था के द्वारा सभी को शिक्षित करने की योजना है. जिसमे मुख्यतः वैसी महिलाओ को शिक्षित करना है जो कभी स्कूल नहीं गईं हैं. धीरे-धीरे स्कूल में आने वाली महिलाओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है. गया से पंकज की रिपोर्ट