पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन, देश में शोक की लहर

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन, देश में शोक की लहर

DELHI :  इस वक्त एक बड़ी खबर दिल्ली से आ रही है. पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन हो गया है. उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर इस बात की जानकारी दी है. पूर्व प्रेजिडेंट के निधन की खबर सुनते ही पूरे देश में शोक का माहौल है. पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक व्यक्त किया है.


दिल्ली में सोमवार शाम को 84 साल की उम्र में प्रणब मुखर्जी ने अंतिम सांस ली. वो पिछले कई दिनों से बीमार थे और अस्पताल में भर्ती थे. बीते दिनों प्रणब मुखर्जी कोरोना पॉजिटिव पाए गए थे, उनकी सर्जरी भी हुई थी.




प्रणब मुखर्जी के बेटे अभिजीत मुखर्जी ने ट्वीट कर लिखा है कि उनके पिता का निधन हो गया है. उन्होंने इस ट्वीट में लिखा है कि डाक्टरों के प्रयास और लोगों की दुआओं के बाजवूद भी उनके पिता का स्वर्गवास हो गया. उनके पिता ने अब इस दुनिया को अलविदा कह दिया है.



25 जुलाई 2012 से प्रणव मुखर्जी ने भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में देश की सेवा की. पिछले साल 26 जनवरी 2019 को प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. 84 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह चुके भारत के पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का जन्म बंगाल के वीरभूम जिले के मिराती (किर्नाहार) गाँव में 11 दिसम्बर 1935 को हुआ था. इनके पिता किंकर मुखर्जी और मां राजलक्ष्मी मुखर्जी थीं. 22 साल की उम्र में प्रणब मुखर्जी की शादी 13 जुलाई 1957 को शुभ्रा मुखर्जी के साथ हुई थी. उनके दो बेटे और एक बेटी है.  पढ़ना, बागवानी करना और संगीत सुनना उनको काफी पसंद था. प्रणब मुखर्जी ने 'द कोलिएशन ईयर्स: 1996-2012' एक किताब भी लिखा है.



25 जुलाई 2012 से प्रणव मुखर्जी ने भारत के 13वें राष्ट्रपति के रूप में देश की सेवा की. पिछले साल 26 जनवरी 2019 को प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया था. कलकत्ता विश्वविद्यालय से उन्होंने इतिहास और राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर के साथ साथ कानून की डिग्री हासिल की थी. वे एक वकील और कॉलेज प्राध्यापक भी थे.


उनके पिता 1920 से कांग्रेस पार्टी में सक्रिय होने के साथ पश्चिम बंगाल विधान परिषद में 1952 से 64 तक सदस्य और वीरभूम (पश्चिम बंगाल) जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रह चुके थे. उनके पिता एक सम्मानित स्वतन्त्रता सेनानी थे, जिन्होंने ब्रिटिश शासन की खिलाफत के परिणामस्वरूप 10 वर्षो से अधिक जेल की सजा भी काटी थी.