बिहार में औद्योगिक विकास और रोजगार सृजन को बढ़ावा देने के लिए इथेनॉल उत्पादन में अभूतपूर्व वृद्धि की योजना बनाई जा रही है। 2026 तक राज्य में 9 नई इथेनॉल फैक्ट्रियां स्थापित की जाएंगी, जिससे हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा और गन्ना व मक्का की खेती करने वाले लगभग 20,000 किसानों को सीधा लाभ पहुंचेगा।
किन जिलों में खुलेंगी फैक्ट्रियां?
इन फैक्ट्रियों को बिहार के 8 जिलों में स्थापित किया जाएगा:
भागलपुर, बेगूसराय, कैमूर, मुजफ्फरपुर, बाढ़, जमुई, वैशाली में एक-एक फैक्ट्री।
बक्सर में दो फैक्ट्रियां।
भागलपुर और कैमूर में इथेनॉल उत्पादन मार्च 2025 से शुरू होने की संभावना है।
इथेनॉल उत्पादन का मौजूदा परिदृश्य
बिहार में पहले से ही 12 इथेनॉल फैक्ट्रियां सक्रिय हैं, जो हर साल 56.50 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन करती हैं।
कुल उत्पादन का 60% इथेनॉल दक्षिण भारत के राज्यों में निर्यात किया जाता है।
2018 में 5.77 करोड़ लीटर उत्पादन से पिछले 7 वर्षों में 10 गुना वृद्धि हुई है।
गन्ना और मक्का उत्पादन का योगदान
इथेनॉल उत्पादन के लिए गन्ना और मक्का प्रमुख कच्चे माल हैं:
गन्ना का उपयोग:
70% चीनी मिलों में।
20% इथेनॉल फैक्ट्रियों में।
10% गुड़ और अन्य उत्पादों में।
मक्का का उपयोग:
80% इथेनॉल उत्पादन के लिए।
20% भोजन और अन्य उपयोगों में।
खेती और रोजगार को बढ़ावा
गन्ना और मक्का की खेती का क्षेत्रफल 13 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 17 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने की उम्मीद है।
इन फैक्ट्रियों से राज्य में औद्योगिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के हजारों नए अवसर सृजित होंगे।
इथेनॉल उत्पादन का भविष्य
बिहार के उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने कहा, "नई फैक्ट्रियों से इथेनॉल उत्पादन बढ़ेगा, जिससे राज्य की ऊर्जा आवश्यकताएं पूरी होंगी और अतिरिक्त उत्पादन का निर्यात किया जा सकेगा।"
2025 तक 9 और 2026 तक शेष 7 फैक्ट्रियों के शुरू होने से बिहार इथेनॉल उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन जाएगा। यह पहल राज्य के औद्योगिक और कृषि विकास में एक नई क्रांति लाने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित होगी।