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1st Bihar Published by: FIRST BIHAR EXCLUSIVE Updated Wed, 22 May 2024 11:35:23 PM IST
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DESK : एक तरफ कांग्रेस समेत कई अन्य विपक्षी दल चुनाव आयोग की पारदर्शिता को लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं जबकि दूसरी तरफ निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में विगत बुधवार को कहा है कि वोटर टर्नआउट डेटा उम्मीदवार और उनके एजेंट के अलावा किसी अन्य के साथ शेयर करने के लिए कोई कानूनी आधार नहीं है।
चुनाव आयोग ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में कहा है कि ''एक मतदान केंद्र में डाले गए वोटों की संख्या बताने वाले फॉर्म- 17(सी) का विवरण सार्वजनिक नहीं किया जा सकता। इससे पूरे चुनावी तंत्र में अराजकता फैल सकती है। इस मामले में आयोग का तर्क है कि इससे तस्वीरों के साथ छेड़छाड़ की संभावना बढ़ जाती है।''
चुनाव आयोग ने कहा कि मतदान केंद्र-वार मतदान प्रतिशत डेटा के अविवेकपूर्ण खुलासे और इसे वेबसाइट पर पोस्ट करने से चुनावी मशीनरी में अराजकता फैल जाएगी, जो मौजूदा लोकसभा चुनाव में जुटी है। चुनाव आयोग ने इस आरोप को भी गलत और भ्रामक बताते हुए खारिज कर दिया कि लोकसभा चुनाव के पहले दो चरण में मतदान के दिन जारी किए गए आंकड़ों और बाद में दोनों चरणों में से प्रत्येक के लिए जारी प्रेस विज्ञप्ति में 5-6 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है। दरअसल, चुनाव आयोग ने एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की याचिका के जवाब में दायर 225 पजे के एफिडेविट में यह बात कही है.
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने अपनी याचिका में क्या कहा है?
एडीआर ने याचिका में चुनाव आयोग को लोकसभा के प्रत्येक चरण के मतदान के समापन के 48 घंटे में वेबसाइट पर मतदान केंद्रवार आंकड़े अपलोड करने का निर्देश देने का अनुरोध सुप्रीम कोर्ट से किया है। चुनाव आयोग ने हलफनामे में कहा है कि यदि याचिकाकर्ता का अनुरोध स्वीकार किया जाता है तो यह न केवल कानूनी रूप से प्रतिकूल होगा बल्कि इससे चुनावी मशीनरी अराजकता का शिकार हो जाएगी।
विपक्ष भी साध रहा है निशाना
कांग्रेस ने बुधवार को मतदान के वास्तविक समय के आंकड़ों (रियल टाइम फिगर) और निर्वाचन आयोग के जारी अंतिम आंकड़ों के बीच बड़े अंतर को लेकर सवाल उठाये हैं और कहा है कि देश में मतदाता इससे चिंतित हैं। पार्टी के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि ‘मतदाता मतदान के चार चरणों के दौरान निर्वाचन आयोग की गतिविधियों को लेकर चिंतित हूं। पहले आयोग को मतदान के अंतिम आंकड़े सामने लाने में 10-11 दिन लगते हैं और फिर वास्तविक समय के आंकड़ों और अंतिम आंकड़ों के बीच बड़ा अंतर आ जाता है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है।’