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1st Bihar Published by: Updated Thu, 28 Jan 2021 07:07:09 AM IST
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PATNA : राज्य सरकार ने एक तरफ हो जहां 90,000 नए शिक्षकों के नियोजन की तरफ कदम बढ़ा दिया है वहीं दूसरी तरफ राज्य के लगभग एक लाख से ज्यादा नियोजित शिक्षकों की नौकरी पर संकट गहरा गया है। राज्य में साल 2006 से 2015 के बीच से नियोजित हुए इन शिक्षकों ने अपने प्रमाण पत्रों को साझा नहीं किया है। शिक्षा विभाग इस मामले को लेकर बेहद गंभीर है और ऐसा नहीं करने वाले शिक्षकों की सेवा समाप्त करने के साथ-साथ उनके वेतन की भी वसूली की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। दरअसल हाई कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद शिक्षा विभाग में नियोजित शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच के मामले में शक्ति बढ़ती है विभाग नहीं आता है क्या है कि नियोजित शिक्षक का अपना प्रमाण पत्र खुद पोर्टल पर अपलोड करें लेकिन अब तक एक लाख से ज्यादा नियोजित शिक्षकों ने ऐसा नहीं किया है।
प्रमाण पत्र वेब पोर्टल पर अपलोड नहीं करने वाले शिक्षकों को लेकर विभाग के प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ रंजीत कुमार सिंह ने जानकारी देते हुए कहा है कि ऐसे करीब 1 लाख 3 हजार शिक्षकों की सूची पोर्टल पर जारी की जाएगी जिनके प्रमाण पत्र की जांच नहीं हो पाई है। जिला शिक्षा पदाधिकारियों द्वारा जिला, प्रखंड एवं नियोजन इकाई के स्तर पर शिक्षकों की सूची अपलोड की जाएगी। साथ ही साथ इन सभी को एक तय सीमा के अंदर आवश्यक प्रमाण पत्र और नियोजन पत्र को पोर्टल पर अपलोड करने के लिए निर्देश दिए जाएंगे। अगर शिक्षकों ने यह काम नहीं किया तो उनकी सेवा खत्म करने और साथ ही साथ वेतन वसूली की प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी।
प्राथमिक शिक्षा निदेशक के मुताबिक विभाग जल्द ही पोर्टल को लांच करेगा और उसके बाद प्रमाण पत्र अपलोड किए जाने की तारीख जारी की जाएगी। विभाग में इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया है प्रमाण पत्र अपलोड नहीं करने वाले शिक्षकों के बारे में माना जाएगा कि उनकी नियुक्ति अवैध नहीं है और ऐसे शिक्षकों को अपनी नियुक्ति की वैधता के संबंध में कुछ भी नहीं कहना है। ऐसे शिक्षकों की नियुक्ति अवैध मानकर उनके ऊपर कार्यवाई की जाएगी। इसके बाद जिला शिक्षा कार्यालय द्वारा ऐसे शिक्षकों की सूचना संबंधित नियोजन इकाई को दी जाएगी और बाद में नियोजन इकाईयों द्वारा शिक्षकों से स्पष्टीकरण पूछ कर उनकी सेवा समाप्त करने और पूर्व में हुए वेतन भुगतान की राशि वसूल करने की प्रक्रिया अपनाई जाएगी। शिक्षा विभाग के फैसले से ऐसे नियोजित शिक्षकों के बीच हड़कंप है जिन्होंने किसी तरह नियोजन प्रक्रिया में गड़बड़ी के जरिए सेवा पाई है।