धरा रह गया लड्डू के डिब्बे, मेवालाल चौधरी के घर पर पसरा सन्नाटा

धरा रह गया लड्डू के डिब्बे, मेवालाल चौधरी के घर पर पसरा सन्नाटा

PATNA: मेवालाल चौधरी आज शिक्षा विभाग गए और कार्यभार संभाला. उसके बाद उनके आवास पर चहल पहल तेज हो गई, लेकिन तीन घंटे के बाद ही मेवालाल ने इस्तीफा दे दिया. जिसके बाद उनके घर पर सन्नाटा पसर गया. 

धरा रह गया लड्डू

मेवालाल चौधरी कार्यभार संभालने बाद कई समर्थक और नेता उनके आवास पर मिठाई लेकर पहुंचने लगे और सभी बधाई देने लगे. आवास पर भीड़ लड गई. किसी को कुछ पता नहीं था कि आगे मेवालाल क्या करने वाले हैं. सभी बधाई दे रहे थे. लेकिन कुछ देर के बाद ही मेवालाल चौधरी ने इस्तीफा दे दिया. जैसे ही लोगों को जानकारी मिली तो आवास पर सन्नाटा पसर गया. 


मेवालाल ने दिया इस्तीफा

शिक्षा मंत्री मेवालाल चौधरी ने इस्तीफा दे दिया. मेवालाल चौधरी ने आज ही पदभार ग्रहण किया था. जिसके बाद आज अचानक मेवालाल ने इस्तीफा दे दिया. शपथ लेने के बाद मेवालाल ने कहा कि कोई भी केस तब साबित होता है जब आपके खिलाफ़ कोई चार्जशीट हुई हो या कोर्ट ने कुछ फैसला किया हो. न हमारे खिलाफ अभी कोई चार्जशीट हुई है न ही हमारे ऊपर कोई आरोप दर्ज़ हुआ है.


मेवालाल पर घोटाला का आरोप

गौरतलब है कि नीतीश कुमार ने बिहार के बड़े नौकरी घोटाले के आरोपी को अपना शिक्षा मंत्री बनाया है. बिहार के नये शिक्षा मंत्री बने मेवालाल चौधरी पर कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति रहते नौकरी में भारी घोटाला करने का आरोप है. उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज है. देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोबिंद ने बिहार का राज्यपाल रहते मेवालाल चौधरी के खिलाफ जांच करायी थी और उन पर लगे आरोपों को सच पाया था. ये जांच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर हुई थी. मेवालाल चौधरी पर सबौर कृषि विश्वविद्यालय के भवन निर्माण में भी घोटाले का आरोप है. 


सबसे बड़ी बात ये है कि मेवालाल चौधरी के इस बड़े घोटाले के खिलाफ सत्तारूढ जेडीयू के नेताओं ने भी आवाज उठायी थी. विधान परिषद में जेडीयू विधान पार्षदों ने मेवालाल चौधरी के खिलाफ हंगामा ख़ड़ा कर दिया था. वहीं बाद में बीजेपी के नेता सुशील कुमार मोदी ने इसे जोर शोर से उठाया था. सुशील कुमार मोदी सबूतों का पुलिंदा लेकर तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोबिंद से मिले थे. इसके बाद जांच हुई और जांच में पाया गया कि मेवालाल चौधरी ने कृषि विश्वविद्यालय का कुलपति रहते बड़ा घोटाला किया. ये घोटाला 161 सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति में हुआ था. मेवालाल चौधरी पर लगे आरोपों को लेकर विपक्षी पार्टियां लगातार सरकार पर हमला बोल रही थी.