PATNA : पटना में आज महागठबंधन के सम्मेलन ने ही विपक्षी एकता की पोल खोल दी. डॉ राम मनोहर लोहिया की पुण्यतिथि पर आयोजित इस सम्मेलन में मंच पर बैठे नेताओं में आपसी बातचीत तक नहीं हुई. सवाल ये उठ रहा है कि सार्वजनिक कार्यक्रम में आंखें मिलाने से परहेज करने वाले विपक्षी नेताओं के दिल कैसे मिलेंगे.
तेजस्वी और मांझी में बात तक नहीं हुई
डॉ लोहिया की पुण्यतिथि पर इस सम्मेलन का आयोजन बिहार में महागठबंधन के दलों के बीच एकता का प्रदर्शन करने के लिए किया गया था. लेकिन एक ही मंच पर बैठे राजद नेता तेजस्वी प्रसाद यादव और जीतन राम मांझी के बीच आपसी बातचीत तक नहीं हुई. मंच पर तेजस्वी यादव और जीतन राम मांझी के बीच उपेंद्र कुशवाहा बैठे थे. तेजस्वी की बातचीत उपेंद्र कुशवाहा और दूसरी ओर बैठे मुकेश सहनी से लगातार हो रही थी. लेकिन मांझी ज्यादातर समय चुपचाप बैठे रहे. उनकी थोडी बहुत बातचीत उपेंद्र कुशवाहा से तो हुई लेकिन तेजस्वी से कोई संवाद नहीं हुआ.
सम्मेलन में दिखी उपचुनाव की तल्खी
दरअसल इस सम्मेलन में बिहार में विधानसभा की पांच और लोकसभा की एक सीट के लिए हो रहे उपचुनाव की तल्खी साफ साफ दिखी. इस उपचुनाव में राजद ने कांग्रेस के लिए लोकसभा और विधानसभा की एक-एक सीट छोड़ कर बाकी चार सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिये हैं. जबकि जीतन राम मांझी ने नाथनगर सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा किया है. मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी ने भी सिमरी बख्तियारपुर से अपना उम्मीदवार खड़ा कर दिया है. उपचुनाव में महागठबंधन की गांठें खुल गयी हैं. डॉ लोहिया के पुण्यतिथि समारोह में इसका ही नजारा देखने को मिल रहा है.
भीड़ जुटाने में भी दो पार्टियों की ही भूमिका
पटना के बापू सभागार में हो रहे इस सम्मेलन में तकरीबन पांच हजार लोग जुटे हैं. उन्हें जुटाने में भी उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी रालोसपा और मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी ने ही ज्यादा मेहनत की. सभागार में बाकी पार्टियों के इक्का-दुक्का कार्यकर्ता ही नजर आ रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा इस सम्मेलन के संयोजक थे, सबसे ज्यादा मेहनत उन्होंने ही किया है.