दिल्ली चुनाव के बाद होगा बिहार BJP की नयी कार्यसमिति का गठन, कई पुराने चेहरों की छुट्टी तय, पिछड़ों की हिस्सेदारी बढेगी

दिल्ली चुनाव के बाद होगा बिहार BJP की नयी कार्यसमिति का गठन, कई पुराने चेहरों की छुट्टी तय, पिछड़ों की हिस्सेदारी बढेगी

PATNA: बिहार में BJP की नयी कार्यसमिति का गठन इसी महीने हो जायेगा. दिल्ली चुनाव के बाद बिहार बीजेपी की कार्यसमिति का एलान कर दिया जायेगा. प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल की नयी टीम में पुरानी टीम के कई चेहरों की छुट्टी होना तय है. बीजेपी का आलाकमान प्रदेश कमेटी में पिछडे-अति पिछड़े नेताओ को ज्यादा जगह देने की कवायद में लगा है. जानकार ये भी बता रहे हैं कि नयी प्रदेश कार्यसमिति में एक बार फिर सुशील मोदी खेमे के नेताओं को किनारे करने की भी तैयारी है.


दिल्ली में तैयार हो रही सूची

बिहार बीजेपी ने अपने सांगठनिक चुनाव में पिछले महीने ही संजय जायसवाल को फिर से अपना अध्यक्ष चुना है. लेकिन उनके टीम का एलान नहीं किया गया है. बीजेपी के सूत्रों की मानें तो बिहार बीजेपी की टीम को लेकर दिल्ली में जोड घटाव किया जा रहा है. बिहार में इसी साल चुनाव होने हैं लिहाजा बहुत सोंच विचार कर नयी कमिटी बनाने की तैयारी की जा रही है. बीजेपी की नयी कार्यसमिति के गठन में सबसे अहम रोल पार्टी के प्रदेश प्रभारी भूपेंद्र यादव का होगा. हालांकि प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और पूर्व अध्यक्ष नित्यानंद राय की राय को भी तवज्जो दिया जायेगा.


ज्यादातर पुराने चेहरों की हो सकती है छुट्टी

इससे बिहार बीजेपी की कार्यसमिति का गठन नित्यानंद राय के अध्यक्ष रहते किया गया था. नित्यानंद राय की कमिटी में 4 महामंत्री के अलावा 14 उपाध्यक्ष और 14 प्रदेश मंत्री थे. बीजेपी के सूत्र बता रहे हैं कि ज्यादातर पुराने चेहरों की छुट्टी की जा सकती है. पार्टी चुनाव को लेकर अलग किस्म की रणनीति तैयार कर रही है. बीजेपी का नेतृत्व सवर्णों की पार्टी वाला अपना इमेज भी तोड़ना चाहता है. लिहाजा पिछड़े और अति पिछड़े तबके के नेताओं को प्रदेश कमिटी में ज्यादा जगह दी जा सकती है.


किनारे ही रखे जायेंगे सुशील मोदी कैंप के नेता

बीजेपी के सूत्रों की मानें तो एक बार फिर सुशील मोदी कैंप के नेता किनारे किये जायेंगे. नित्यानंद राय की कमेटी में भी सुशील मोदी खेमे के नेताओं को तवज्जों नहीं दी गयी थी. सुशील मोदी को लेकर बीजेपी आलाकमान के नजरिये में कोई बदलाव नहीं आया है लिहाजा एक बार फिर उनके कैंप के नेताओं को जगह मिलने के आसार कम ही हैं.