PATNA: बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय वीआरएस देकर अब चुनावी मैदान में 11 साल के बाद फिर से कूदने वाले हैं. गुप्तेश्वर पांडेय 11 साल पहले भी वीआरएस लेते-लेते चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन धोखा के अलावे कुछ नहीं मिला था. बक्सर लोकसभा से वह बीजेपी से चुनाव लड़ना चाहते थे. लेकिन सपने पर पानी फिर गया.
वादा कर बीजेपी ने नहीं दिया था टिकट
2009 में बक्सर से चुनाव लड़ने के लिए गुप्तेश्वर पांडेय ने आईपीएस की नौकरी से वीआरएस लेते-लेते रह गए थे. लेकिन ऐन वक्त पर जिस बीजेपी ने उनको टिकट देने का वादा किया था वह अपने वादे से मुकर गई और अपने भरोसेमंद सिटिंग सांसद को वहां से टिकट दे दिया और वह जीत गए. गुप्तेश्वर पांडेय हाथ मलते रह गए. कई सालों तक नौकरी से बाहर रहे. फिर आईपीएस की नौकरी में लौट आए. जिसके बाद वह 31 जनवरी 2019 को बिहार के डीजीपी बने. डीजीपी बनने के बाद भी गुप्तेश्रर पांडेय ऐसे-ऐसे बयान देते थे कि जिससे विपक्ष उनपर हमला करता था. यहां तक की सरकार का प्रवक्ता तक बता दिया था. शिवसेना के संजय राउत ने भी उनके बीजेपी का आदमी बताया था. अपने तूफानी बयानों के कारण वह कई बार सीएम नीतीश से फटकार भी खा चुके हैं.
11 साल के बाद सपना साकार होगा
11 साल के बाद गुप्तेश्वर पांडेय फिर से अपने गृह जिले बक्सर विधानसभा से चुनाव लड़ेंगे. लेकिन यहां से चुनाव लड़ने का उनका सपना 11 साल के बाद पुरा होगा. लेकिन वह विधानसभा पहुंचेंगे या नहीं यह तो बक्सर की जनता तय करेगी. क्योंकि बक्सर सीट पर कांग्रेस के विधायक संजय तिवारी सिटिंग विधायक हैं और यहां पर उनकी टक्कर होगी. बक्सर सीट के बारे में बताया जाता है कि सबसे अधिक ब्राह्मण वोटरों की संख्या है. दोनों उम्मीदवार इसी कास्ट से आते हैं.
फर्स्ट बिहार ने कहा था- सफाई पर भरोसा
तीन दिन पहले ही गुप्तेश्वर पांडेय बक्सर गए थे. जेडीयू जिलाध्यक्ष के साथ बंद कमरे में घंटों बातचीत की थी. उसके बाद वह बार-बार सफाई दे रहे थे कि वह चुनाव लड़ने नहीं जा रहे हैं, लेकिन फर्स्ट बिहार ने यह दावा किया था कि गुप्तेश्वर पांडेय की सफाई पर भरोसा नहीं किया जा सकता है. वह चुनाव किसी भी कीमत पर लड़ेंगे. इसको लेकर वह मन बना चुके हैं. जिसके बाद मंगलवार की रात इस बात की पुष्टि भी हो गई.