DESK : बिहार में भूमि विवाद का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। जमीन के चक्कर में हत्याएं तक हो रही हैं। जमीन के इस विवाद को खत्म करने के लिए सरकार ने कड़े कानून तक बनाए हैं। अब कोई भी व्यक्ति जमीन तभी बेच सकता है जब उसके नाम से जमाबंदी होगी। दादा-परदादा के नाम से खानदानी जमीन को कोई भी व्यक्ति किसी भी हालत में नहीं बेच सकता है। पहले उसे अपने-अपने नाम से बंटवारा करना होगा। फिर म्यूटेशन के बाद जमाबंदी की रसीद कटानी होगी। तभी वह जमीन किसी से बेची जा सकती है।
सरकार के इस नए नियम का असर भी रजिस्ट्री कार्यालय में देखने को मिल रहा है। जहां पहले सैकड़ों लोग जमीन की रजिस्ट्री के लिए पहुंचते थे, वहीं आज रजिस्ट्री के लिए कम लोग पहुंच रहे हैं। ज्यादातर लोगों की जमीन की जमाबंदी रसीद उनके नाम से नहीं है। जिसके कारण उनकी जमीन नहीं बिक रही है और न ही रजिस्ट्री हो पा रही है। अपने नाम से जमाबंदी रसीद कटाने के लिए लोग दाखिल-खारिज के लिए आवेदन दे रहे हैं। आवेदन देने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है। दाखिल-खारिज का निपटारा तत्काल राजस्व कर्मचारी नहीं कर पा रहे हैं। जिसका नतीजा है कि लोग प्रखंड कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं और खाली हाथ लौट रहे हैं।
दाखिल-खारिज के काम में लापरवाही की बात अब जाकर सामने आई है। मुजफ्फरपुर में लापरवाह राजस्व कर्मचारियों पर कार्रवाई की गयी है। उनके वेतन भुगतान पर रोक लगा दी गई है। दाखिल-खारिज के काम में लापरवाही बरतना मुजफ्फरपुर के मंझौलिया में तैनात एक दर्जन राजस्व कर्मचारियों को भारी पड़ गया। बताया जाता है कि आधार सीडिंग का लक्ष्य 50 प्रतिशत कर दिया गया था। लेकिन पाया गया कि 10 प्रतिशत ही आधार सीडिंग का कार्य पूरा हो सका है। वहीं दाखिल-खारिज का लक्ष्य भी पूरा नहीं किया गया था।
अंचलाधिकारी राजीव रंजन ने पहले राजस्व कर्मचारियों के साथ समीक्षा बैठक की। राजस्व कर्मचारियों की कार्यशैली से वह काफी नाराज थे। उन्होंने कहा कि पिछली बार बैठक में कई दिशा-निर्देश दिये गये थे। लेकिन इन्होंने इसे अमल में नहीं लाया। सीओ ने काम में तेजी लाने के लिए राजस्व कर्मचारियों को एक हफ्ते की मोहलत दी है। सीओ ने चेतावनी देते हुए कहा कि कार्य में प्रगति लाएं नहीं तो मजबूरन हमें कार्रवाई को बाध्य होना पड़ेगा।