DESK : 10 वीं और 12वीं में फेल हुए बच्चों को मध्य प्रदेश सरकार ने 'रुक जाना नहीं ' के तहत पास होने का एक और मौका दिया है. इसकी परीक्षाएं मंगलवार से शुरू हुई. इस दौरान धार जिले से एक बेचैन करने वाली तस्वीर सामने आई है. कोरोना संकट के इस काल में बस बंद रहने के कारण बयडीपुरा के रहने वाले शोभाराम अपने बेटे आशीष को 10वीं की परीक्षा दिलाने के लिए सोमवार की रात 12 बजे साइकिल से निकल पड़े.
परीक्षा केंद्र 105 किलोमीटर दूर धार में बनाया गया था. पूरी रात साइकिल चलाने के बाद शोभाराम अपने बेटे को लेकर सुबह 8 बजे परीक्षा केंद्र पहुंचे. जहां आशीष ने तय समय पर परीक्षा दी.
शोभाराम ने बताया कि वे अनपढ़ हैं, जिसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ता है. इसलिए उन्होंने ठाना है कि बच्चे को पढ़ाना है. उनके बेटे आशीष की 10 वीं में पूरक आ गई थी और पूरक परीक्षा का सेंटर पूरे जिले में केवल धार ही बनाया गया है. कोरोना काल में अभी यातायात चालू नहीं है. गरीबी के कारण दूसरे साधन का प्रबंध नहीं कर पाए. इसलिए वे बेटे को लेकर साइकिल से निकल पड़े. दोनों पिता-पुत्र साइकिल पर अपने साथ तीन दिन के लिए खाने-पीने का सामान भी ले आए थे.
धार प्रशासन को जब इस मामले का पता चला तो उन्होंने दोनों लोगों के लिए 24 तारीख तक ठहरने का इंतजाम कर दिया है. साथ ही खाने की पूरी व्यवस्था की गई है.