कोरोना से मुकाबले में प्राइवेट अस्पतालों की बड़ी भूमिका, पारस हॉस्पिटल ने सरकार का जताया आभार

कोरोना से मुकाबले में प्राइवेट अस्पतालों की बड़ी भूमिका, पारस हॉस्पिटल ने सरकार का जताया आभार

PATNA: बिहार करोना वायरस के चंगुल से निकलती दिख रही है। कोरोना के मामले लगातार कम हो रहे हैं। अप्रैल और मई में जहां कोरोना की रफ्तार काफी तेज थी। वो अब घटकर करीब 10 प्रतिशत हो गयी है। यूं कहे की संक्रमित मरीजों की संख्या दिन पर दिन तेजी से गिर रही है। पारस अस्पताल प्रबंधन ने इस मुकाम के लिए सरकार का आभार जताया और कोरोना मरीज के इलाज में सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। पारस अस्पताल प्रबंधन ने सरकारी अधिकारियों को भी उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया।

 

पारस अस्पताल के रिजनल डायरेक्टर डाॅ. तलत हलीम ने बताया कि सरकारी तंत्र, सरकारी अधिकारियों और निजी क्षेत्र के अस्पतालों के सहयोग से बिहार कोविड से उबर रहा है। ब्लैक फंगस के मरीजों के इलाज में भी सरकार व अधिकारियों का पूरा सहयोग मिल रहा है। सरकार द्वारा वेंटिलेटर, ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर और एम्फोटेरिसिन दवाएं उपलब्ध करायी गयी है। पारस अस्पताल प्रबंधन ने इस मुकाम के लिए सरकार और सरकारी अधिकारियों को उनके प्रयासों के लिए धन्यवाद दिया।


पारस अस्पताल के रिजनल डायरेक्टर डाॅ. तलत हलीम ने बताया कि बिहार सरकार ने न केवल सरकारी अस्पतालों के लिए जीवन रेखा के रूप में काम किया बल्कि पारस पर एक निजी संस्था के रूप में भरोसा भी किया। हमने यह सुनिश्चित किया कि मरीजों को इलाज में कोई दिक्कत ना हो। इसलिए हमने सभी मोर्चो पर एक साथ काम किया। चाहे वोे टीकाकरण अभियान हो या फिर कोविड मरीजों की देखभाल। हमने मरीजों को किसी तरह की परेशानी नहीं होने दी। 


डाॅ. तलत हलीम ने बताया कि सरकार की तरफ से वेंटिलेटर और ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर मिला। इसके अलावा रेमडेसिवर और अन्य दवाएं भी मिलीं। इस मदद की वजह से क्रिटिकल केयर व आईसीयू के डॉक्टर और मेडिकल स्टाफ को काफी मदद मिली। इससे वे बेहतर सेवा मरीजों को दे पाएं। इस महामारी के दौरान पारस अस्पताल ने मानवता का परिचय दिया और आगे बढ़कर जितना संभव हो सकता था दूसरे अस्पतालों के साथ सहयोग कर लोगों की जान बचाई।


हमने उदयन अस्पताल के साथ अपने स्टैंडबाय ऑक्सीजन सिलेंडर साझा किये। इसी तरह एम्स के साथ एम्फोटेरिसिन दवा साझा की। हालांकि चीजें थोड़ी मात्रा में ही साझा हुई लेकिन हमने तय किया कि यदि कोई जीवनरक्षक चीज हमारे पास है और दूसरे अस्पताल के पास नहीं है तो इस स्थिति में किसी भी मरीज को किसी भी अस्पताल में पीड़ा झेलने या मरने नहीं दिया जा सकता। बदले में उन अस्पतालों ने भी कभी अपने प्रोटोकॉल द्वारा और कभी आपातकालीन स्थिति में हमारी मदद की। जब भी हमें बेड की आवश्यकता होती थी और इन अस्पतालों का हमें सहयोग मिला। 


डाॅ. तलत हलीम ने बताया कि कोरोनाकाल के दौरान हमने एक तकनीशियन को भी खो दिया। हमारे अपने स्टाफ (डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल) कोविड से संक्रमित हुए। लेकिन स्वस्थ होकर पुनः वापस आए और पूरे लगन से लोगों की सेवा की। पारस अस्पताल के रिजनल डायरेक्टर डाॅ. तलत हलीम ने बताया कि हमने सरकार के माध्यम से पारस के लिए कोरोना टीका के लिए आवेदन किया है। भारत के टीकाकरण अभियान में भी अपना योगदान देते रहेंगें।