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1st Bihar Published by: AKASH KUMAR Updated Tue, 09 Jun 2020 11:07:19 PM IST
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AURANGABAD : बिहार में पहले फ्रंट लाइन कोरोना वरियर्स मौत के बाद औरंगाबाद में एक अजीबोगरीब स्थिति देखने को मिली. कोरोना के भय से उसे न तो कोई कंधा देने आया और न ही उसके पिंडदान की परंपरा को पूरा करने कोई ब्राम्हण आया. इतना ही नहीं श्मशान घाट पर शव पहुंचते ही, वहां से मुख्याग्नि देने वाले लोग भी भाग खड़े हुए.
दरअसल, औरंगाबाद के खुदवां थाना में पदस्थापित एक एसआई की हसपुरा के कोरेंटिन सेंटर में डयूटी लगी थी. डयूटी के दौरान ही संभवत: वे कोरोना के शिकार हो गये. दो बार उनकी जांच रिपोर्ट भी पॉजिटिव आयी. इसी बीच औरंगाबाद पुलिस लाइन में मालखाना का चार्ज देने के बाद विश्राम के दौरान रात्रि में बैरक में ही अचानक उनकी मौत हो गयी. हालांकि प्रशासनिक महकमे और पोस्टमार्टम की रिपोर्ट दोनों में ही एएसआई की मौत का कारण हार्ट अटैक बताया गया.
एएसआई की मौत के बाद मंगलवार को मृतक की पत्नी शकुंतला देवी,पुत्र अजय तिवारी एवं धनंजय तिवारी बक्सर के बैरी गांव से औरंगाबाद सदर अस्पताल पहुंचे. इस दौरान औरंगाबाद के एएसपी अभियान राजेश कुमार सिंह,सार्जेंट मेजर अभय कुमार सिंह जवानों के साथ सदर अस्पताल पहुंचे.पुलिस अधिकारियों ने कागजी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद शव को अस्पताल प्रशासन से ग्रहण किया. इस दौरान मृतक की अंतिम यात्रा नहीं निकली, बल्कि पीपीई किट पहने पुलिस के जवान शव को एक वाहन पर रखकर परिजनों के साथ औरंगाबाद के अदरी नदी तट पर स्थित श्मशान घाट पहुंचे.
शव के श्मशान घाट पहुंचने पर शवदाह गृह बंद पाया गया. इसके बाद शवदाह गृह का देखरेख करने वाले औरंगाबाद के कथित डोम राजा उमेश डोम की खोज की जाने लगी. खोज के दौरान पता चला कि वह कोरोना पॉजिटिव मृतक का शव होने की जानकारी मिलते ही श्मशान से भाग खड़ा हुआ है. इसके बाद औरंगाबाद नगर थाना की पुलिस ने पास में ही रहने वाले कई डोम परिवारों को मृतक के दाह संस्कार के लिए अग्नि देने का आग्रह किया. आग देने के बदले दो हजार रुपये देने का भी ऑफर किया,लेकिन कोई भी आग देने को तैयार नहीं हुआ.इतना तक कि शवदाह गृह का ताला भी नहीं खुल सका.
विडंबना यह रही कि मृत एएसआई को दाह संस्कार के लिए डोम के हाथों मुखाग्नि के लिए अग्नि तो नहीं ही मिल सकी.इतना ही नहीं कोरोना के डर से शहर का कोई ब्राहमण भी अंतिम पिंडदान कराने के लिए राजी नहीं हो सका. ऐसी स्थिति में परिजनों ने अदरी नदी के तट पर शवदाह गृह से बाहर ही मृत दारोगा के अंतिम संस्कार की सारी औपचारिकताओं को खुद ही पूरा किया.मुखाग्नि मृतक के बड़े पुत्र अजय तिवारी ने दी. इस दौरान पुलिस महकमे के अधिकारी और जवान मौजूद रहे. जिन्होंने नम आंखों से दारोगा को अंतिम विदाई दी.