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1st Bihar Published by: Updated Thu, 14 May 2020 01:40:18 PM IST
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DESK : इस वक्त पूरी दुनिया में कोविड- 19 का खौफ है. कोविड- 19 ने अपना आतंक दुनिया के हर कोने में दिखा रहा है. इस महामारी से हम एक तरह की जंग लड़ रहे है. इस लड़ाई को लड़ने में हर कोई अपने स्तर से साथ दे रहा है. पर इसमें डॉक्टरों और नर्सों ने जो योगदान दिया है उसका क़र्ज़ शायद कोई कभी चुका ही नहीं सकता. अपने आपको और अपने परिवार को भूल कर इस वक्त निस्वार्थ सेवा भाव से अपने काम में लगे हुए हैं. उन्होंने भी शायद कभी कल्पना नहीं की होगी की जीवन में कभी इतने कठिन दौर का सामना करना होगा.
जब से कोरोना संकट का दौर शुरु हुआ है तभी से डॉक्टर और नर्सों की छुट्टी को रद्द कर दिया गया है. मरीजों की संख्या दिनों दिन बढती जा रही है. डॉक्टरों और नर्सों को कई कई दिन तक लगातार काम करना पड़ रहा है. साथ ही संक्रमण का खतरा हमेशा बना रहता है. कुछ लग अपने घर जाने से कतरा रहे की कहीं उनके साथ ये जानलेवा वायरस उनके घर तक न पहुंच जाये. सोचिये उन पर क्या बित रही होगी. डॉक्टरों और नर्सों को इस वक़्त कई तरह की इमोशनल चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है.
एक ऐसी ही इमोशनल कहानी मध्य प्रदेश के मंदौसर से आई है. जहां पर नर्स शांता पंवार पिछले 52 दिनों से अपने घर नहीं गई हैं. शांता पंवार की ड्यूटी कोरोना वायरस के संदिग्ध और प्राइमरी हेल्थ सेंटर में मरीजों की देखभाल के लिए लगाई गई है. इस वजह से वो अपने परिवार से पिछले 52 दिनों से नहीं मिली हैं. वो अपनी तीन साल की बेटी से वीडियो कॉल पर बात कर के अपने मन को तसल्ली दे लेतीं हैं. पर कभी कभी बात करते करते रो पड़ती हैं.
शांता पंवार का कहना है कि वो यहां रोज 12 से 14 घंटे मरीजों की देखभाल करती हैं. अस्पताल में अपनी ड्यूटी करने के बाद वह क्वारनटीन सेंटर में अपनी सेवाएं दे रही हैं. पिछले 52 दिन से हर रोज अपनी ड्यूटी निभा रही हैं. इस मुश्किल हालात में वो पिछले 52 दिनों से अपने घर नहीं गई हैं. घर में एक छोटी तीन साल की बेटी है. जिसकी याद आती है तो बस विडियो कॉल कर लेतीं हैं. वीडियो कॉल पर बात करते हुए मेरी बेटी मुझे बहुत हिम्मत देती है. बोलती है मम्मा परेशान मत होना मोदी जी जैसे ही लॉकडाउन खोलेंगे मैं पापा के साथ आपको लेने आऊंगी. मेरी बेटी मुझे हमेशा रोने से मना करती है. पर बेटी से बात करते- करते आंसू निकल ही आते हैं.
मंदसौर जिले के पिपलिया मंडी अस्पताल के मेडिकल ऑफिसर आसिफ खान का कहना है, “हमें इन पर गर्व है. हम भी चाहते हैं कि जल्द से जल्द ये आपदा खत्म हो और वो अपने घर जाकर अपनी 3 साल की बच्ची से मिलें”.