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1st Bihar Published by: Updated Wed, 15 Jan 2020 04:38:47 PM IST
                    
                    
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PATNA : महागठबंधन के अंदर भले ही नेता के नाम पर संग्राम छिड़ा हुआ है। कांग्रेस और महागठबंधन के दूसरे दलों के नेता भले ही तेजस्वी को बार-बार अपना नेता मानने से इंकार कर रहे हों। पर लालू के लाल तेजस्वी यादव का कद महागठबंधन के अंदर कितना बड़ा है इसका अहसास लोगों को खुद-बखुद हो गया। कांग्रेस के दही चूड़ा भोज में तेजस्वी यादव के इंतजार में तमाम नेता घंटों बैठे रहे। तेजस्वी के आने के बाद ही भोज की रौनक बढ़ी और नेताओं ने उसके बाद ही भोज का आनंद लिया।
मकर संक्रांति के भोज के मौके पर कांग्रेस पार्टी ने सदाकत आश्रम में चूड़ा दही के भोज का आयोजन किया था। जिसमे तेजस्वी यादव सहित विपक्ष के सभी दलों के बड़े नेताओं को निमंत्रण भेजा गया था। जिसमे रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ,हम के अध्यक्ष पूर्व सीएम जीतन राम मांझी, वीआईपी अध्यक्ष मुकेश सहनी सहित कांग्रेस पार्टी के तमाम नेताओ को बिहार कांग्रेस प्रभारी एवं अध्यक्ष ने न्योता भेजा था।
भोज में शामिल होने के लिए रालोसपा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ,मुकेश सहनी,और जीतनराम मांझी तकरीबन 1 घंटा पहले पहुच गए थे लेकिन तेजस्वी यादव नहीं पहुचे थे। भोज का समय 12 .30 रखा गया था। लेकिन उपेन्द्र कुशवाहा सहित महागठबंधन के नेता सदाकत आश्रम पहुंच गए थे इस बीच सभी लोग इस बात का इंतजार कर रहे थे कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव कब आते है। हालांकि जैसे-जैसे देर होते जा रही थी कांग्रेस के प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल की बैचेनी बढ़ती जा रही थी इस बीच मदन मोहन झा और शक्ति सिंह गोलिह तेजस्वी की खबर लेते रहे कि वह निकले की नही।
इधर घंटों से इंतजार कर रहे कुशवाहा, मांझी और सहनी को अखिलेश यादव सदाकत आश्रम में भोज के टेबल पर अपने साथ ले गए लेकिन तब भी तेजस्वी का इंतजार होता रहा। तकरीबन पौने 2 बजे के आस-पास तेजस्वी यादव अपने काफिले के साथ सदाकत आश्रम पहुंचे तो भोज शुरू हुआ।इस बीच महागठबंधन के चेहरे पर कई बार सवाल मांझी और कांग्रेस से पूछा गया लेकिन सभी गोलमोल जबाब देकर महागठबंधन की बैठक में नेता तय होने की बात करते रहे। इस बीच तेजस्वी यादव ने कहा कि उनकी पार्टी ने अपना फैसला बता दिया है।महागठबंधन की भोज में तेजस्वी यादव की हैसियत बाकी नेताओ के सामने काफी बड़ा दिखा। लिहाजा भोज की मेजबानी कर रहे कांग्रेस समेत सभी नेताओं ने नही चाहते हुए भी तेजस्वी के पीछे खड़े होने में ही खुद की भलाई समझी।
हालांकि कि ये पहला मौका नहीं है कि तेजस्वी ने अपने कह का अहसास महागठबंधन के नेताओं को कराया हो। गाहे-बगाहे वे महागठबंधन के नेताओं के अहसास कराने से नहीं चूकते कि महागठबंधन की सबसे बड़ी और व्यापक जनाधार रखने वाली पार्टी उन्हीं की है। ज्यादा पीछे जाने की भी जरुरत नहीं है। सीएए-एनआरसी पर महागठबंधन के बिहार बंद के दौरान भी कुछ यहीं अहसास हुआ था जब कांग्रेस अध्यक्ष डॉ मदन मोहन झा, पूर्व सीएम जीतन राम मांझी और उपेन्द्र कुशवाहा तीनों ही नेता पटना के डाकबंगला चौराहा पर तेजस्वी का इंतजार करते रह गए इधर घंटो बाद तेजस्वी आए औऱ उन्होनें इन नेताओं को कोई संज्ञान भी नहीं लिया भाषण देकर निकलते बने थे।