PATNA : कोरोना संकट के इस दौर में एक तरफ जहां ऑनलाइन शिक्षा की बात हो रही है तो वहीं बिहार के सरकारी स्कूलों में 5 साल कंप्यूटर की शिक्षा दे चुके हजारों टीचर आज दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर हैं. लॉकडाउन में शिक्षकों की हालत ऐसी हो गई है कि उनके सामने भूखमरी की समस्या उत्पन्न हो गई है. अब जब स्कूलों में कंप्यूटर की पढ़ाई ही नहीं होती तो फिर बिहार के बच्चे ऑनलाइन शिक्षा कैसे लेंगे.
लगभग तीन सालों से संघर्ष कर रहे बिहार कंप्यूटर शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने शुक्रवार को बैठक की. इस बैठक में माननीय मुख्यमंत्री को पत्र लिख कंप्यूटर शिक्षकों ने पुनर्बहाल करने की गुहार करने लगाई. बैठक में महासचिव विनोद कुमार सिन्हा ने बताया कि हमलोगों ने बिहार के सीएम को पत्र लिख अपनी स्थिती की जानकारी दी है. पत्र में शिक्षकों ने बताया है कि कोरोना काल से पूर्व हमारी स्थिति दयनीय थी और इस कोरोना काल में हम सभी कंप्यूटर शिक्षकों की स्थिति मरणासन्न अवस्था समान हो गई.
शिक्षकों का कहना है कि जहां एक तरफ सीएम नीतीश बाहर से आए युवाओं को रोजगार देने की बात कह रहे हैं और वहीं दूसरी ओर उनकी सरकार में ही वैसे युवा जो बिहार में रहकर बिहार के माध्यमिक उच्च माध्यमिक विद्यालयों में कंप्यूटर की शिक्षा दे रहे थे उनका रोजगार छीन लिया गया. हमने 3 सालों तक धरना भी दिया लेकिन सरकरा के कान पर जूं तक नहीं रेंगी. एक बार संघ ने पुनः सीएम से अपनी सेवा बहाल करने की मांग की है, ताकि राज्य के गरीब छात्र-छात्राओं के पठन-पाठन में कंप्यूटर शिक्षकों की मदद ली जा सके. इस मौके पर प्रदेश अध्यक्ष अविंद्र प्रसाद, प्रदेश , प्रदेश कोषाध्यक्ष सौरभ कुमार सिंह के अलावे विभिन्न जिला अध्यक्ष श्री शैलेंद्र कुमार सिंह, संतोष कुमार झा, सूर्यप्रकाश तरुण, अरुण कुमार वर्मा, प्रीति कुमारी, श्री नित्यानंद कुमार सिंह, विकास कुमार सिंह, मोहम्मद नूर आलम, सौरभ मरीक सहित वरिष्ठ सदस्य सूरज कुमार, दिव्य प्रकाश सिंह पुनीत पल्लव, रूपेश कुमार सिंह प्रकाश कुमार, दिनेश ठाकुर ,सोनाक्षी कुमारी, प्रियंका शुक्ला त्रिपाठी, पूर्णिमा कुमारी, प्रिंस कुमार सिंह सहित कई शिक्षक मौजूद रहे.