सीएम नीतीश पर FIR के समर्थन में मांझी! बोले- पुलिस को IAS सुधीर कुमार की प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए

सीएम नीतीश पर FIR के समर्थन में मांझी! बोले- पुलिस को IAS सुधीर कुमार की प्राथमिकी दर्ज करनी चाहिए

PATNA : बिहार के सियासी गलियारे से इस वक्त एक  बड़ी खबर सामने आ रही है. पूर्व मुख्यमंत्री और एनडीए के सहयोगी दल हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने राज्य के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार का समर्थन किया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार के प्रकरण को लेकर मांझी ने कहा कि बिहार पुलिस को एफआईआर दर्ज करनी चाहिए.


मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राज्य के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार के प्रकरण को लेकर मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने चिंता जताई. जीतन राम मांझी ने कहा है कि एक आईएएस अधिकारी अगर थाने में जाकर एफआईआर दर्ज कराना चाहता है और पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं करती तो यह वाकई चिंता की बात है. गौरतलब हो कि आईएएस सुधीर कुमार ने पटना के एससी-एसटी थाने में सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ आवेदन देकर उनके विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करने की शिकायत की है.


आपको बता दें कि शनिवार को पटना के एससी-एसटी थाने में जबरदस्त ड्रामा देखने को मिला. आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार 36 पन्ने का आवेदन औऱ उसके साथ सबूत का पुलिंदा लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार औऱ सूबे के दूसरे अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने थाने पहुंचे थे. हालाँकि उनका आवेदन लेने के बावजूद भी अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है. सुधीर कुमार लगातार मुख्यमंत्री समेत दूसरे अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज करने की मांग कर रहे हैं. 


मंगलवार को इसी प्रकरण को लेकर जीतन राम मांझी ने कहा है कि जांच में आगे चाहे जो कुछ भी हो लेकिन पुलिस का पहला काम शिकायत दर्ज करने का है कि उन्हें खबरों के जरिए इस सारे मामले की जानकारी हुई है. मांझी ने कहा कि अगर उनकी एफआईआर दर्ज नहीं की गई तो यह चिंता की बात है. यह पूछे जाने पर कि एक दलित आईएएस अधिकारी के साथ आखिर ऐसा क्यों हो रहा है. मांझी ने कहा कि दलित हो या चाहे कोई और थाने में आने वाले हर व्यक्ति को सरल मिलना चाहिए.



हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष  जीतन राम मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार की कंप्लेंट पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया. मांझी इन सवालों पर बचते दिखे. आपको बता दें कि 2 दिन पहले हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के प्रवक्ता ने यह आरोप लगाया था कि आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार को तेजस्वी के डिप्टी सीएम रहते जेल भेजा गया था. जब बिहार में महागठबंधन की सरकार थी. तब पेपर लीक कांड हुआ था और उसी वक्त सुधीर कुमार जेल भेजे गए थे. हम पार्टी ने इस पर सवाल खड़ा करते हुए तेजस्वी पर पलटवार किया था. लेकिन अब मांझी ने भी सुधीर कुमार की एफआईआर दर्ज नहीं होने पर चिंता जाहिर की है.


गौरतलब हो कि एससी-एसटी थाने से निकले सुधीर कुमार से मीडिया ने पूछा कि आखिरकार वे किस पर और क्यों एफआईआर करना चाहते हैं. सुधीर कुमार ने कुछ भी बताने से इंकार कर दिया. मीडिया ने जब बहुत कुरेदा तो वे बोले कि जालसाजी का केस करना चाह रहे हैं.  उनसे पूछा गया कि आखिरकार जालसाजी किसने की है. कई बार सवाल पूछने पर सुधीर कुमार ने कहा कि मामला मुख्यमंत्री के खिलाफ है.


सुधीर कुमार ने कहा कि उन्होंने पिछले 5 मार्च को ही पटना के शास्त्रीनगर थाने में नीतीश कुमार के खिलाफ एफआईआर करने के लिए आवेदन दिया था. जब वे थाने में आवेदन दे रहे थे तो वहां पटना के एसएसपी औऱ डीएसपी मौजूद थे. उन्हें रिसीविंग दे दी गयी लेकिन एफआईआर नहीं दर्ज किया गया. सुधीर कुमार ने कहा कि उन्होंने पटना के एसएसपी को पत्र लिखकर जानकारी मांगी कि उनके आवेदन पर क्या कार्रवाई हुई. कोई जवाब नहीं आया. आऱटीआई से भी जानकारी मांगी गयी लेकिन वहां से भी कोई जवाब नहीं मिला. ऐसे में वे फिर से एससी-एसटी थाने में एफआईआर कराने आये हैं. यहां भी एफआईआर दर्ज करने के बजाय आवेदन की रिसीविंग दी जा रही है.


कौन हैं सुधीर कुमार
साढे चार साल पहले यानि 2017 में बिहार में कर्मचारी चयन आयोग घोटाला हुआ था. कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा होने से पहले प्रश्न पत्र लीक हो गया था. इस मामले की जांच हुई तो आय़ोग के तत्कालीन अध्यक्ष सुधीर कुमार दोषी पाये गये. आईएएस अधिकारी सुधीर कुमार को 24 फरवरी 2017 को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था. उसके बाद उन्हें सस्पेंड भी कर दिया गया था. साढ़े तीन साल तक जेल में रहने के बाद पिछले साल 7 अक्टूबर को वह जमानत पर रिहा होकर जेल से बाहर आए थे. जमानत मिलने के बाद सरकार ने उन्हें निलंबन मुक्त कर राजस्व पर्षद का सदस्य बनाया था.