PATNA : जो एनसीईआरटी की बुक है इसमें बिहार के मुख्यमंत्री जी ने जो बातें कही है वह लिखी हुई है। जो उनके बयानों को गलत बता रहे हैं उनको इतना ही बुरा लग रहा है तो किताबों से भी इसे हटा देना चाहिए। भाजपा वाले चाहते हैं कि हम वर पक्ष की तरफ से भी रहे हैं और कन्या पक्ष के भी तरफ से रहे हैं तो यह संभव नहीं है। एक साथ दोनों काम नहीं हो सकता है। हाथी के दो दांत होते हैं दिखाने के और खाने के और यह लोग आज जो बिल पास हो रहा है उसका विरोध करने के लिए ऐसा काम कर रहे हैं। बातें बिहार सरकार के परिवहन मंत्री शीला मंडल ने कही है।
दरअसल, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के जनसंख्या नियंत्रण पर महिलाओं को लेकर दिए गए बयान पर हंगामा थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसे में अब आज जदयू के मंत्री एनसीईआरटी की किताब लेकर सदन पहुंचे और सीएम के बयान पर सफाई देने की कोशिश की। जब उनसे इसको लेकर सवाल किया गया तो वह भी शर्म से पानी पानी हो गई।
फर्स्ट बिहार के संवाददाता ने शीला मंडल से यह सवाल किया कि मैडम क्या सीएम नीतीश कुमार ने जो बातें कही है उसे आप सार्वजनिक मंच पर कहेंगी। ऐसे में सवाल सुनकर शीला मंडल शर्माने लगी और पहले तो सवाल के जवाब देने से बचने की कोशिश करने लगी। फर्स्ट बिहार के संवाददाता ने उनसे वापस से सवाल किया तो मजबूरन उन्होंने कहा कि - देखिए सुनिए आप एक बात बताइए इतना ही उन लोगों को आपत्ति था तो उस समय सब लोग शांत क्यों था ? उन लोगों को जब दिल्ली से कॉल आया तो आकर हंगामा करने लगे। हमलोग किस लिए मुंह छुपाएंगे। लेकिन जब फर्स्ट बिहार के संवाददाता ने वापस से सवाल किया की क्या आपके तरफ से यह बात दोहरा जा तो जवाब दिए हुए आगे बढ़ती चली गई।
इसके अलावा जब मंत्री लेसी सिंह से जब हमारे संवाददाताओं ने संवाद स्थापित किया और सवाल किया कि आखिर बायोलॉजी की किताब लेकर सदन में आने की जरूरत क्यों पड़ी तो उसके जवाब में उन्होंने कहा कि - सदन में आरक्षण बिल पर सोने वाला है और यह लोग लोगों को डाइवर्ट कर दूसरे तरफ ले जा रहे हैं।
उसके बाद जब फर्स्ट बिहार ले संवाददाता ने उनसे सवाल किया कि जब सीएम नीतीश कुमार सदन में अपनी बात रख रहे थे तो यह चर्चा है कि अपने मुंह छुपा लिया था इसके जवाब उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है अगर ऐसी बात रहती तो उसे सिलेबस से ही निकाल दीजिए 12वीं के बायोलॉजी के सिलेबस में यह बातें क्यों रखी गई? इसके बावजूद है यदि सीएम नीतीश कुमार के बातों से किसी को दुख पहुंचाओ तो मुख्यमंत्री ने खेद प्रकट किया है इसके बावजूद इसे मुद्दा बनाना कहीं से उचित नहीं है। यह लोग दिखाने के लिए कुछ और करते हैं और इनका एजेंडा कुछ और होता है।