MUNGER: कई छठ घाट आपने देखे होंगे लेकिन आज जिस छठ घाट की चर्चा कर रहे हैं उसके बारे में जानकर हैरान रह जाएंगे। ऐसा छठ घाट आपने नहीं देखा होगा लेकिन आज हम उस घाट का जिक्र करने जा रहे है जो अपने आप में एक अनूठा घाट है।
जिसमें पानी कम हो जाने के बाद नदी में ही ज़िग जैग टाइप का क्यारी का करीब 125 घाट का निर्माण स्थानीय युवकों ने किया है। मुंगेर जिला मुख्यालय से लगभग 60 किलो मीटर दूर तारापुर अनुमंडल स्थित मुंगेर और बांका जिला के बॉर्डर पर तारापुर छतहार के पास सुखी हुई बदुआ नदी में स्थानीय युवकों और ग्रामीणों के अथक प्रयास से 125 क्यारी नुमा ज़िग जैग के तरह नदी के पेट में घाटों का निर्माण किया है।
इस तरह के घाट को दर्जनों ग्रामीण दीपावली के बाद से साफ-सफाई कर घाट को तैयार करने में लग जाते है। युवाओं ने घाटों को इस तरह से निर्माण किया है कि छठ व्रति अच्छे तरीके से पूजा कर सके। इस घाट का निर्माण इस तरह किया जाता है कि हनुमाना डैम से निकल रहा पानी एक समान सभी क्यारी नुमा घाट में फैल जाता है जहां छठवर्ती पानी में उतरकर भगवान सूर्य को अर्घ्य देगी। यहां महिला छठ व्रतियों के कपड़ा बदलने के लिए चेंजिंग रूप की व्यवस्था की गयी है और लाइटिंग की भी व्यवस्था की गई है।