BJP ने राज्यसभा चुनाव में गोपाल नारायण सिंह का पत्ता काटा: सतीश चंद्र दुबे रिपीट होंगे, शंभू शरण पटेल जायेंगे राज्यसभा

BJP ने राज्यसभा चुनाव में गोपाल नारायण सिंह का पत्ता काटा: सतीश चंद्र दुबे रिपीट होंगे, शंभू शरण पटेल जायेंगे राज्यसभा

PATNA: बीजेपी ने राज्यसभा चुनाव में अपने दिग्गज गोपाल नारायण सिंह का टिकट काट दिया है. बीजेपी ने अपने दो उम्मीदवारों के नाम का एलान कर दिया है. इसमें सतीश चंद्र दूबे को फिर से राज्यसभा भेजने का निर्णय लिया गया है. वहीं दूसरा उम्मीदवार शंभू शऱण पटेल को बनाया गया है. शंभू शऱण पटेल का नाम पार्टी चौंकाने वाला है. राज्यसभा जाने के दावेदारों में दूर-दूर तक कहीं शंभू शरण पटेल का नाम नहीं था.


बीजेपी ने आज देर शाम बिहार समेत दूसरे राज्यों से राज्यसभा के चुनाव में अपने कुल 16 उम्मीदवारों के नाम का एलान किया. इनमें बिहार से सतीश चंद्र दूबे औऱ शंभू शरण पटेल को उम्मीदवार बनाने का एलान किया गया है. पार्टी के नेताओं ने बताया कि शंभू शऱण पटेल बिहार बीजेपी के प्रदेश सचिव हैं. पार्टी में न उनका कद बड़ा है और ना ही नाम. वे बीजेपी के पुराने कार्यकर्ता-नेता भी नहीं हैं लेकिन पार्टी ने शंभू शऱण पटेल को उम्मीदवार बनाने का एलान कर दिया है.


गोपाल नारायण सिंह का पत्ता कटा

गोपाल नारायण सिंह लंबे समय से बिहार बीजेपी के दिग्गज नेताओं में शामिल रहे हैं. वे बिहार बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं.  2016 में तो बीजेपी ने सुशील मोदी की दावेदारी को ठुकरा कर गोपाल नारायण सिंह को राज्यसभा भेज दिया था. लेकिन इस दफे उनका पत्ता साफ हो गया. पार्टी के एक नेता ने बताया कि गोपाल नारायण सिंह की उम्र 70 साल से ज्यादा हो गयी है. इस कारण उनका टिकट काटा गया है. ये पहले ही तय हो चुका है कि 70 साल से ज्यादा उम्र वालों को संसदीय राजनीति से अलग किया जाये.


क्यों रिपीट हुए सतीश दूबे 

वहीं, सतीश चंद्र दूबे को रिपीट करने के पीछे भी कारण गिनाये जा रहे हैं. दरअसल सतीश चंद्र दूबे सिर्फ तीन सालों के लिए राज्यसभा सांसद रहे. वे लोकसभा सांसद थे. लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में उनकी सीटिंग सीट जेडीयू को दे दी गयी थी. 2019 के लोकसभा चुनाव के बाद राजद के राज्यसभा सांसद राम जेठमलानी के निधन के कारण एक सीट खाली हुई थी औऱ उस पर उप चुनाव हुआ था. उसी उप चुनाव में सतीश चंद्र दूबे को उम्मीदवार बना कर राज्यसभा भेजा गया था. पार्टी के नेताओं के मुताबिक सतीश दूबे का कार्यकाल सिर्फ 3 साल का रहा इसलिए उन्हें दुसरा मौका दिया गया है.