DESK : लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद अब देश में एक बार फिर एनडीए की सरकार बनने जा रही है। नरेंद्र मोदी तीसरी बार कल यानी 9 जून को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। हालांकि पिछले दो लोकसभा चुनावों में बीजेपी को जो प्रचंड बहुमत मिली थी, इस बार के लोकसभा चुनाव में वह देखने को नहीं मिला। इस बार कई राज्यों में बीजेपी का जनाधार खिसता हुआ दिख रहा है।
दरअसल, दिल्ली की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश और बिहार से होकर जाता है। किसी भी राजनीतिक दल के लिए ये दोनों राज्य काफी अहम हैं। इस लोकसभा चुनाव में बिहार में बीजेपी की सीटें तो कम हुई ही हैं, उत्तर प्रदेश में बीजेपी को जिस करारी हार का सामना करना पड़ा है, उससे पार्टी उबर नहीं सकी है। उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सिर्फ सीटें ही कम नहीं हुई हैं बल्कि वोट प्रतिशत में भी काफी कमी आई है। वीआईपी सीटों पर भी पार्टी का प्रदर्शन ठीक नहीं रहा। जिसे बीजेपी के लिए डबल अटैक माना जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं। सभी सीटों पर जीत हासिल करने का दावा करने वाली बीजेपी महज 33 सीटों पर जीत दर्ज कर सकी है। पिछले दो लोकसभा चुनावों के मुकाबले इस लोकसभा चुनाव में बीजेपी के वोट प्रतिशत में भी गिरावट हुई है। वीआईपी सीटों की बात करें तो उन सीटों पर भी बीजेपी का वोट कम हुआ है।
लोकसभा चुनाव में सबसे हॉट सीट मानी जाने वाली वाराणसी में बीजेपी का प्रदर्शन वैसा नहीं रहा, जैसी उम्मीद थी। वाराणसी सीट पर नरेंद्र मोदी को पिछले चुनाव में जितने वोट मिले थे, उससे कम वोट इस चुनाव में मिले हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी को कुल 674664 वोट मिले थे, जबकि इस बार पीएम मोदी को 61,694 वोट कम मिले हैं। यानी नरेंद्र मोदी को इस लोकसभा चुनाव में 6,12,970 वोट मिले हैं।
वहीं अन्य वीआईपी सीटों की बात करें तो आंकडों के मुताबिक, मथुरा में हेमा मालिनी को पिछले लोकसभा चुनाव से 1,61,229 वोट कम मिले हैं। वहीं गोरखपुर सीट पर रविकिशन को 1312288 वोट कम मिले। अमेठी सीट पर स्मृति ईरानी चुनाव हार चुकी हैं। उन्हें इस बार 96,482 वोट कम मिले हैं। लखनऊ में राजनाथ सिंह को पिछले लोकसभा चुनाव से 20,317 वोट कम मिले हैं।