PATNA : निर्वाचन आयोग की ओर से बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का एलान कर दिया गया है. बिहार में इसबार कुल 3 चरणों में मतदान होगा. चुनाव आयोग की ओर से जारी शेड्यूल के मुताबिक 28 अक्टूबर, 3 नवंबर और 7 नवंबर को वोट डाले जायेंगे. मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने बताया कि 10 नवंबर को मतगणना होगी. यानी कि 10 नवंबर को यह तय हो जायेगा कि बिहार के राजगद्दी पर अगला मुख्यमंत्री कौन होगा.
बिहार निर्वाचन आयोग की ओर से भी शुक्रवार शाम को प्रेस वार्ता कर महत्वपूर्ण जानकारियां साझा की गईं. चुनाव आयोग के मुताबिक बिहार में इस साल कुल 7 करोड़ 29 लाख 27 हजार 396 मतदाता वोट डालेंगे. कोरोना को देखते हुए पोलिंग स्टेशन की भी संख्या बधाई गई है. बिहार में लगभग डेढ़ गुना ज्यादा पोलिंग स्टेशन बनाये गए हैं. निर्वाचन आयोग के मुताबिक कुल 1 लाख 6 हजार 526 पोलिंग स्टेशन बनाये जायेंगे, जो कि पिछली बार 65 हजार 367 पोलिंग स्टेशनों से 62.96% प्रतिशत ज्यादा है.
बिहार चुनाव आयुक्त एच आर श्रीनिवास आयोग ने बताया कि पोस्टल बैलेट कांप्रयोग 80 साल से अधिक उम्र वाले, दिव्यांगोंऔर कोविड सस्पेक्टेड प्रयोग करेंगे. राज्य स्तर से जिला स्तर पर कोविड दिशा निर्देश जारी किया गया है. मतदाताओ को वोटर गाइड दिया जाएगा. कोविड को लेकर मतदान केंद्रों पर गाइडलाइंस का पालन होगा. बूथ पर सोशल डिस्टनसिंग लागू रहेगा. वोटरों को ग्लब्स दिया जाएगा.
निर्वाचन आयोग के मुताबिक मतदान के दौरान पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात होंगे. विधानसभावार स्थान चिन्हित किये गए हैं. पब्लिक रैली के परमिशन को लेकर दिशानिर्देश दिए गए हैं. उन्होंने बताया कि हेलीकॉप्टर पर रोक नहीं है. कोई नेता इस्तेमाल करना चाहते हैं. तो वह कर सकते हैं. घर-घर प्रचार अभियान में उम्मीदवार सहित अधिकतम पांच लोग हो सकते हैं.
अगर आपके पास मतदाता पहचान पत्र नहीं है, तो भी मतदान कर सकते हैं. इसके लिए ड्राइविंग लाइसेंस, आधार कार्ड या पासपोर्ट भी पहचान पत्र के तौर पर मान्य हैं. सरकारी नौकरी का आईडी, पोस्ट ऑफिस की पासबुक, हेल्थ इंश्योरेंस स्मार्ट कार्ड, फोटो लगा हुआ पेंशन डॉक्यूमेंट, मनरेगा कार्ड भी मान्य होगा. एमपी, एमएलए, एमएलसी को जारी किये गये अधिकारिक पहचान पत्र भी मान्य होगा. लेकिन मत देने के लिए आपका नाम मतदाता सूची में होना आवश्यक है.
मुख्य निर्वाचन अधिकारी सुनील अरोड़ा ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान जनसभाओं में सामाजिक दूरी के नियमों का पालन करना होगा. सुनील अरोड़ा ने आगे कहा कि चुनावों के दौरान किसी ने भी सोशल मीडिया का इस्तेमाल सांप्रदायिक तनाव भड़काने जैसे किसी गलत उद्देश्यों के लिए किया तो उसे परिणाम भुगतने पड़ेंगे. जबकि, घृणा फैलाने वाले भाषण से भी चुनाव आयोग सख्ती से निपटेगा.