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कोरोना टेस्टिंग के बाद बिहार में अब चुनाव घोटाला, चुनावी खर्च के नाम पर एजेंसियों ने दिया करोड़ों का फर्जी बिल

1st Bihar Published by: Updated Sun, 14 Feb 2021 07:51:55 AM IST

कोरोना टेस्टिंग के बाद बिहार में अब चुनाव घोटाला, चुनावी खर्च के नाम पर एजेंसियों ने दिया करोड़ों का फर्जी बिल

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PATNA : बिहार में कोरोना टेस्टिंग को लेकर गड़बड़ी सामने आने के बाद सरकार ने पहले फजीहत झेल ली और अब दोषियों पर एक्शन लिया जा रहा है. लेकिन पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में प्रबंधन के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है. विधानसभा चुनाव में मनमाने तरीके से खर्च और फर्जीवाड़े का सनसनीखेज मामला उजागर हुआ है. दरअसल पटना जिले में चुनाव की तैयारियों और प्रबंधन को लेकर जो बिल एजेंसियों की तरफ से जमा किया गया, उस पर संडे होने के बाद जिला प्रशासन ने जांच कराई और इसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी सामने आई है.


विधानसभा चुनाव में अर्धसैनिक बलों की कई कंपनियां पटना जिले में तैनात की गई थी. अर्ध सैनिक बलों के रहने के लिए टेंट, खाने की व्यवस्था और एक जगह से दूसरे जगह जाने के लिए गाड़ियों समेत अन्य खर्चे के लिए एजेंसी ने 42 करोड़ का बिल दिया.  2014 के लोकसभा चुनाव में पटना जिले में पचास अर्धसैनिक बलों की कंपनियां तैनात की गई थी, जिस पर तकरीबन दो करोड़ 30 लाख रुपए का खर्च आया था. जबकि 2020 के विधानसभा चुनाव में पटना जिले में 215 कंपनियों पर खर्चे का आकलन 42 करोड़ दिखाया गया. 


ओवर बिलिंग को लेकर पटना के तत्कालीन डीएम कुमार रवि ने संदेह जताया और इसके बाद 3 सदस्यों की कमेटी बनाई गई, जिन्हें जांच का जिम्मा दिया गया. इस कमेटी में तत्कालीन अपर समाहर्ता राजस्व राजीव कुमार श्रीवास्तव, डीआरडीए के निदेशक अनिल कुमार और जिला भविष्य निधि पदाधिकारी और अवर निर्वाचन पदाधिकारी मसौढ़ी राजू कुमार शामिल थे. कमिटी ने खर्च का आकलन कर 13 करोड़ 40 लाख के भुगतान के लिए जिला अधिकारी को अनुशंसा कर दी थी. पटना के अधिकारी ने कहा है कि जिन एजेंसियों के खिलाफ जांच हो रही है, उसमें पटना के सिन्हा डेकोरेशन और महावीर डेकोरेशन शामिल है.


दरअसल जांच में यह खुलासा हुआ कि अर्धसैनिक बलों को जिस जगह पर ठहराने के लिए टेंट लगाने काबिल दिया गया, वहां कभी और सैनिक बल के जवान ठहरे ही नहीं. इतना ही नहीं दुपहिया वाहनों का नंबर बस का नंबर बताकर बिल सबमिट कर दिया गया. मामला पकड़ में आने के बाद अब पटना के मौजूदा डीएम डॉक्टर चंद्रशेखर सिंह ने बिल के सत्यापन का आदेश दिया है और सैनिक बल के जवानों के ठहरने के लिए जो टेंट और पंडाल लगाने का खर्च का ब्यौरा दिया गया है, वह बाजार भाव से ज्यादा है.


अधिकारियों के मुताबिक टेंट पंडाल लगाने के लिए खर्च का विवरण दिया गया. यदि उस पर सरकार और प्रशासन खुद टेंट पंडाल लगा था तो यह खर्च एक करोड़ में हो जाता लेकिन पंडाल का क्या या उससे अधिक लिखा गया. बिहार विधानसभा चुनाव में 6 जिले हैं, जहां सबसे अधिक खर्च दिखाया गया है. इनमें गया, बांका, पूर्वी चंपारण, कटिहार, सीतामढ़ी, दरभंगा और पटना जिला शामिल हैं. लेकिन पटना में जो गड़बड़ी सामने आई है, उसके बाद माना जा रहा है कि जिलों में भी इसी तरह का फर्जीवाड़ा हो सकता है. अब तक इस मामले में दूसरे जिले से कोई जन्नत की बात सामने नहीं आई है. लेकिन मामला निर्वाचन आयोग के संज्ञान में आ गया है. पटना के अधिकारी ने कहा है कि जिन एजेंसियों के खिलाफ जांच हो रही है, उसमें पटना के सिन्हा डेकोरेशन और महावीर डेकोरेशन शामिल है.


चुनाव के दौरान जिन गाड़ियों में तेल का खर्च दिखाया गया, उनमें फोर व्हीलर बड़ी गाड़ियों की जगह दुपहिया गाड़ियों का नंबर डाल दिया गया. एक दुपहिया वाहन में सैकड़ों लीटर डीजल का खर्च दिखाया गया और यह बात जांच में सामने आई है. ऑडिट के दौरान जब यह बात पकड़ में आए तब बड़े अधिकारी हरकत में आए हैं. ऐसे 10 वाहनों के खर्चे के ब्यूरो में गड़बड़ी पकड़ी गई है, इसकी जांच चल रही है.