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बिहार सरकार का बड़ा फैसला : सरकारी कर्मी की शिकायत नहीं होगी वापस, विभाग ने जारी किया ये आदेश

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 10 Jan 2024 09:14:35 AM IST

बिहार सरकार का बड़ा फैसला : सरकारी कर्मी की शिकायत नहीं होगी वापस, विभाग ने जारी किया ये आदेश

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PATNA : बिहार में अब सरकारी अफसर या कर्मी के खिलाफ शिकायत करके उसे वापस नहीं लिया जा सकेगा। ऐसा करने वाले शख्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होगी। लोकसेवक के खिलाफ हो रही झूठी शिकायतों के चलते यह आदेश आया है। अब कोई व्यक्ति किसी सरकारी पदाधिकारी या कर्मी के खिलाफ एक बार किसी मामले में शिकायत दायर कर इसे वापस नहीं ले पाएंगे। ऐसा करने वालों पर कार्रवाई होगी।


दरअसल, अब सूबे में किसी सरकारी लोकसेवक के खिलाफ शपथ-पत्र के साथ की गई कोई शिकायत अब किसी सूरत में या बहाने से वापस नहीं होगी। ऐसे लोगों के खिलाफ कानून सम्मत कार्रवाई की जाएगी। यह आदेश सभी निगरानी समेत किसी भी विभाग या जिला स्तर पर की गई शिकायत पर लागू होगी। अक्सर यह देखा जाता है कि कई लोग पहले किसी लोकसेवक के खिलाफ शिकायत करते हैं। फिर कुछ समय बाद इस शिकायत पत्र को यह कहते हुए वापस ले लेते हैं कि यह शपथ-पत्र बहकावे में भेज दिया था या किसी दुर्भावना से प्रेरित था।


वहीं, कुछ मामलों यह भी देखा गया है कि पदाधिकारियों पर बेवजह दवाब बनाने के लिए भी ऐसा किया जाता है। इसके मद्देनजर विभाग के स्तर से यह आदेश जारी किया गया है। इससे संबंधित आदेश निगरानी विभाग ने सभी विभागों के प्रमुख से लेकर डीएम, एसपी समेत अन्य को जारी कर दिया है। विभाग के विशेष कार्य पदाधिकारी अरुण कुमार ठाकुर के स्तर से लिखित आदेश सभी को भेजा गया है। 


इस पत्र में सभी महकमों को दिशा-निर्देश जारी करते हुए इसका पालन करने के लिए कहा गया है। इसमें यह भी कहा गया है कि जून 2005 में मुख्य सचिव के स्तर से लोक सेवकों के खिलाफ प्राप्त किसी बेनामी या छद्म नाम से शिकायत पत्रों पर कार्रवाई करने को लेकर मार्ग दर्शन जारी किया गया था। निगरानी विभाग में खासतौर से यह देखा जाता है कि भ्रष्टाचार के मामले को लेकर बड़ी संख्या में जनप्रतिनिधि एवं आम जनता की तरफ से सरकारी सेवकों के खिलाफ बड़ी संख्या में शिकायत-पत्र प्राप्त होते हैं। इसमें नियमानुकूल कार्रवाई की जाती है परंतु जांच में अधिकांश मामले फर्जी पाए जाते हैं या शिकायतकर्ता आगे चलकर इसे वापस ले लेते हैं। दूसरा शपथ-पत्र दायर कर पहले वाले को रद्द करने या आधारहीन आरोप लगाने की बात कहते हैं।