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Bihar Politics: लालू यादव...भूले बिसरे गीत गाकर लोगों को लुभा रहे हैं, BJP बोली- RJD सुप्रीमो ने हमेशा बिहार के लोगों के साथ किया है मजाक

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Mon, 23 Dec 2024 06:42:05 PM IST

Bihar Politics: लालू यादव...भूले बिसरे गीत गाकर लोगों को लुभा रहे हैं, BJP बोली- RJD सुप्रीमो ने हमेशा बिहार के लोगों के साथ किया है मजाक

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Bihar Politics: लालू यादव के भूले बिसरे गीत से कुछ फायदा नही, जनता ने इनका सामंती चेहरा देखा है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता और पूर्व विधायक मनोज शर्मा ने लालू यादव की बेबसी पर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि आजकल लालू यादव अपनी बेबसी हर लोगों के सामने गा रहे हैं। बिहार की जनता ने इनको अपना सिरमौर्य बनाया था लेकिन, ये अपनी गलत नीतियों और निजी स्वार्थ की वजह से अपने ही लोगों को धोखा देने लगे। भूले बिसरे गीत गाकर लोगों को लुभा रहे हैं कि उन्होंने क्या किया? अरे भाई, लालू यादव ने जब भी किया, बिहार के लोगों के साथ मजाक ही किया, उनकी हंसी उड़ाई, उनकी जग हँसाई की है!

बीजेपी प्रवक्ता मनोज शर्मा ने कहा कि 90 के दशक में जब लालू यादव के हाथ से सत्ता जा रही थी, तो उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को राजनीति में स्थापित करने के लिए इसी तरह से लोगों को लुभाया था। उसके बाद भी दलितों की स्थिति सही नही हो पायी थी। इन्होंने कभी पिछड़े, दलित, महादलित परिवारों के लिए कुछ नहीं किया। महादलित समाज के लोगों को अपमान करने के लिए उनकी छाती का घट्ठा देखते थे। लालू यादव को लोगों को नंगे बदन देखना बहुत अच्छा लगता था। यह उनका सामंतवाद था। जो व्यक्ति रथ से चलता है। जिसका पुत्र चार्टर्ड प्लेन में जन्मदिन मनाता है। वह कैसे दलित- महादलित का हितैषी हो सकता है। वो तो बिहार की जनता ने 2005 में एनडीए को चुना और फिर दिन प्रतिदिन उनकी स्थिति बेहतर हुई है। 

मनोज शर्मा ने आगे कहा कि लालू यादव स्वांग रच रहे हैं। पहले पत्नी को स्थापित करने के लिए स्वांग रच रहे थे। अब अपने बेटे को राजनीति में स्थापित करने के लिए स्वांग रच रहे हैं। दरअसल, इन्हें पता है कि अभी बिहार की राजनीति में भाजपा और जदयू की मजबूत गठजोड़ है और 2025 के चुनाव में पूरे महागठबंधन की हालत पतली होने वाली है। महागठबंधन की स्थिति 2010 वाली होने वाली है। इस वजह से लालू यादव पूरी तरह से सहमे हुए हैं। इसलिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। जबकि बिहार की जनता पूरी तरह से समझ चुकी है कि यह सत्ता से बाहर रहते हैं तो इनका चेहरा अलग होता है और सत्ता में वापस आने के बाद यह सामंतवादी हो जाते हैं।