Bihar Politics: लालू राबड़ी राज में BPSC के दो-दो चेयरमैन को जेल जाना पड़ा था. इंजीनियरिंग एडमिशन घोटाले के आरोपी को तब बीपीएससी का चेयरमैन बना दिया गया था. सूबे के स्वास्थ्य मंत्री ने इस मुद्दे पर तेजस्वी यादव को घेरा है. हालांकि नीतीश राज में भी बीपीएसपी की 67 वीं प्रारंभिक परीक्षा का प्रश्न पत्र लीक हुआ था. इस बार की प्रतियोगिता परीक्षा मे भी धांधली के आरोप हैं. परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर परीक्षार्थी आंंदोलन कर रहे हैं.
स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय ने कहा है कि बीपीएससी परीक्षा को मुद्दा बना कर नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव अपने माता-पिता के कलंक को धोना चाहते है। उन्हें बताना चाहिए कि क्या यह सच नहीं है कि मुख्यमंत्री रहते जनवरी 1997 में लालू प्रसाद ने जिस डा. लक्ष्मी राय को बिहार लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष बनाया था, जिन्हें पद पर रहते हुए भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाना पड़ा था ?
मंगल पाण्डेय ने कहा कि डॉ.लक्ष्मी राय 1996 में हुए इंजीनियरिंग एडमिशन घोटाला के आरोपी थे। डॉ.राय के खिलाफ घोटाले के आरोपों की सीबीआई जांच चल रही थी, फिर भी लालू प्रसाद ने उन्हें बीपीएससी का चेयरमैन बना दिया। संगीन आरोपों व सबूतों के आधार पर 2000 ई. में सीबीआई ने इन्हें पद पर रहते गिरफ्तार किया था। बीपीएससी को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाने वाले राम सिंहासन सिंह को चेयरमैन किसके कार्यकाल में (जुलाई 2004) में बनाया गया था? मोटी राशि वसूल कर प्रशासनिक पदाधिकारियों के पदों को किसके राज में बेचा गया था?
मंगल पांडेय ने कहा है कि बीपीएससी अभ्यर्थियों को लेकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले तेजस्वी बताएं कि बीपीएससी के चेयरमैन रामसिंहासन सिंह सहित वहां के 8 कर्मियों को 2005 में एनडीए की सरकार बनने के बाद क्यों गिरफ्तार किया गया ? पेपर लीक के बहाने बिहार के युवाओं को गुमराह करने की कोशिश करने वाले तेजस्वी यादव को एक बार अपने माता-पिता के कार्यकाल को याद कर लेना चाहिए। लालू राज में भ्रष्टाचारी को संरक्षण मिलता था। नीतीश राज में कार्रवाई होती है।