ब्रेकिंग न्यूज़

नीतीश कुमार के शपथग्रहण कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पटना पहुंचे अमित शाह और जेपी नड्डा, बीजेपी नेताओं ने किया जोरदार स्वागत नीतीश के शपथ लेने से पहले ही बंपर बहाली की प्रक्रिया शुरू, सरकार ने जारी किया बड़ा आदेश, जानिये किन पदों पर होगी नियुक्ति? पटना के ए.एन. कॉलेज में गोल इंस्टीट्यूट का भव्य सेमिनार, NEET–JEE तैयारी पर विशेषज्ञों ने दिए खास टिप्स Bihar News: बिहार में शादी समारोह से लौट रहे युवक को बेलगाम वाहन ने रौंदा, चालक की तलाश जारी Patna Book Fair 2025: 5 से 16 दिसंबर तक गांधी मैदान में सजेगा 41वां पुस्तक मेला, 200 स्टॉल और 300 कार्यक्रम होंगे दीक्षांत समारोह से पहले मिथिला विश्वविद्यालय में छात्रों का प्रदर्शन, अंगवस्त्र की गुणवत्ता पर सवाल, कुलपति आवास का किया घेराव 10वीं बार CM पद की शपथ लेंगे नीतीश कुमार, हेलिकॉप्टर से गांधी मैदान पहुंचेंगे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहरसा: हाईटेंशन तार की चपेट में आने से राजमिस्त्री की मौत, बिजली विभाग पर लापरवाही का आरोप सोनपुर मेला 2025: पर्यटकों के बीच आकर्षण का केंद्र बना स्वीस कॉटेज, उमड़ा जनसैलाब JDU नेत्री ने राजद समर्थकों पर लगाया जानलेवा हमला करने का आरोप, कहा..NDA की जीत का जश्न मनाने से नाराज़ थे लोग

गपशप: सत्ताधारी दल के तीन माननीय...जाति एक-पार्टी एक- क्षेत्र एक, तीनों में है जबरदस्त कंपीटिशन...सबसे बड़ा कौन ?

1st Bihar Published by: First Bihar Updated Wed, 04 Dec 2024 03:05:01 PM IST

गपशप: सत्ताधारी दल के तीन माननीय...जाति एक-पार्टी एक- क्षेत्र एक, तीनों में है जबरदस्त कंपीटिशन...सबसे बड़ा कौन ?

- फ़ोटो

Bihar Politics: बिहार की राजनीति जाति के इर्द-गिर्द की घूमती है. जाति के सहारे ही नेताजी अपनी ताकत बढ़ाना चाहते हैं. नेताजी जाति की ताकत दिखाकर सेट होना चाहते हैं. इसके लिए विभिन्न जाति के नेताओं के बीच कंपीटिशन तो है ही, जाति के अंदर भी कड़ी प्रतियोगिता है. एक ही दल में जाति विशेष के कई नेता हैं. उनमें भी एक-दूसरे को पीछे छोड़ने की कड़ी प्रतिस्पर्द्धा है. सुर्खियों में बने रहने और सत्ता की मलाई खाने का कंपीटिशन है. आज चर्चा एक ही जाति,एक ही पार्टी और एक ही क्षेत्र के तीन नेताओं की करेंगे. 

सबसे बड़ी पार्टी के तीन नेता..तीनों का है क्षेत्र एक

बात कर रहे हैं, बिहार विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी की. इस दल में एक ही जाति के तीन नेता हैं. तीनों एक ही क्षेत्र(मगध) से जुड़े हैं. यानि जाति एक, पार्टी एक और क्षेत्र भी एक. हालांकि तीनों की भूमिका अलग-अलग है. वर्तमान में तीनों माननीय हैं. एक माननीय देश के ऊपरी सदन के सदस्य हैं, दूसरे राजा के वजीर हैं और तीसरे सूबे के उच्च सदन के सदस्य हैं. सभी समाज का सबसे बड़ा नेता, पकड़ वाला नेता, साबित करने में जुटे हैं. जुटे भी क्यों नहीं....जाति की ताकत साथ होगी, तभी तो सत्ता की मलाई खायेंगे. लिहाजा पीछे क्यों रहें. 

किस्मत का फिर खुला ताला..और पहुंच गए ऊपरी सदन

सहयोगी दल वाली पार्टी के मुखिया से खिलाफत कर इस दल में इंट्री मारने के बाद एक नेताजी कुछ समय तक तो साइड लाइन रहे. अचानक किस्मत का ताला खुला,चूंकि नेताजी अति पिछड़ा समाज से आते हैं, वर्तमान में जिस दल में है, वहां की राजनीति अब पिछड़ा-अति पिछड़ा केंद्रित हो गई है, लिहाजा उन्हें प्रदेश संगठन में डिप्टी की कुर्सी मिल गई. इसके बाद तो वो पद मिलाा...जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी. सीधे उच्च सदन पहुंच गए। वो भी राज्य वाला नहीं बल्कि...। पद तो मिल गया...लेकिन अभी भी कड़ी प्रतियोगिता है. जाति का बड़ा नेता कौन...? क्यों कि वजीर साहब पहले से ही इस पार्टी में हैं. लंबे समय से माननीय हैं, पार्टी के पुराने लोग हैं. दूसरी प्रतियोगिता दल के एक और माननीय से है. वे भी पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता हैं. संगठन से जुड़े लोग हैं, साथ ही जानकार भी हैं. मगध क्षेत्र में अपने समाज पर भी अच्छी पकड़ है. 

पुराने खिलाड़ी हैं माननीय..चर्चा में बने रहने के लिए छपना जरूरी 

दल के अंदर से पुराने नेताजी को कड़ी टक्कर मिल रही है. समाज में जितनी पकड़ होनी चाहिए, वो हो नहीं पा रही. लिहाजा जाति का एक संगठन खड़ा किया है. राजधानी वाले आवास में ही कार्यालय खोल लिया है. पटना में रहने के दौरान समाज के कुछ लोगों को बुलाकर चाय पर चर्चा कर लेते हैं. फिर उसे समाज की बैठक का रूप देकर मीडिया में छप जाना चाहते हैं. मीडिया में छपने के मामले में जाति के दूसरे नेताओं से आगे रहना चाहते हैं. दरअसल, वे नेतृत्व को बताना चाहते हैं कि वे अपनी जाति के लोगों को इकट्ठा कर पार्टी का काम कर रहे, पार्टी हित में बैठक कर रहे हैं. जानकार बताते हैं कि यह सब कुछ छपने के लिए,पार्टी नेतृत्व के समक्ष अपनी पकड़ बनाए रखने की एक कोशिश मात्र है. नेताजी के बारे में बता दें, ये पूर्व में बिहार में मंत्री भी रह चुके हैं.   

विवेकानंद की रिपोर्ट