गपशप: रिटायरमेंट के बाद भी J.C. साहब का नहीं भंग हो रहा मोह...'वजीर' से लेकर 'अफसर' तक को किया सेट, फिर भी....

गपशप: रिटायरमेंट के बाद भी J.C. साहब का नहीं भंग हो रहा मोह...'वजीर' से लेकर 'अफसर' तक को किया सेट, फिर भी....

Bihar News: बिहार में अफसरों की चांदी है. सुशासन राज में बहुतेरे ऐसे अफसर हैं जो धनकुबेर बन गए हैं. हालांकि अफसर एक मामले में नेताओं से पीछे हो जाते हैं, नेताओं को पद पाने या रिटायर होने की कोई सीमा नहीं है. सरकारी सेवक तय उम्र  के बाद सेवानिवृत हो जाते हैं. सेवा के दौरान माल खाने वाले अफसरों के लिए तब मुश्किल हो जाती है,जब वे रिटायर हो जाते हैं. जिन्हें पद से कोई मोह नहीं, वे रिटायरमेंट के बाद आम जीवन व्यतीत करते हैं, लेकिन जिन्हें मोह है वे किसी भी तरह से फिर सिस्टम में एडजस्ट होना चाहते हैं. आज बात करेंगे बिहार के एक विभाग के रिटायर्ड ज्वाइंट कमिश्नर की. सचिवालय के गलियारे में चर्चा है कि सेवानिवृत अधिकारी (J.C.) ने वजीर से लेकर अफसर तक को सेट कर लिया है. 

चर्चा... एक चर्चित विभाग के रिटायर JC की

एक ऐसे ही अफसर हैं....इसी साल एक खास विभाग, जिस पर मुख्यमंत्री के सपने को साकार करने की जिम्मेदारी है, के ज्वाइंट कमिश्नर( J.C.) से रिटाय़र हुए हैं. रिटायरमेंट के बाद कमाई बंद हो गई, आगे-पीछे चलने वाले की संख्या भी धीरे-धीरे कम हो गई. रिटायरमेंट के बाद वे किसी भी तरह से सिस्टम में सेट होना चाहते हैं. बड़ी मिहनत से सचिवालय में बहुत कुछ सेट भी किया. सचिवालय के गलियारे में चर्चा है कि J.C. ने विभाग के हाकिम से लेकर वजीर तक को सेट कर लिया. उक्त सेवानिवृत अधिकारी के नियोजन को लेकर फाईल भी बढ़ाई गई, नियोजन से पहले कागज में विज्ञापन भी जारी किया गया. लेकिन जिस पद पर नियोजन होना था, उसमें कम से कम बिहार प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत अधिकारी होना चाहिए था. फिर भी रिटायर जे.सी. ने हार नहीं मानी. क्यों कि विभाग के अंदर तो मामला सेट था. फाईल बढ़ी, लेकिन लंगड़ी मारने वालों की भी कमी नहीं. नियम विरूद्ध फाईल बढ़ रही थी, लिहाजा फाईल में अड़ंगा लगा. इस तरह से रिटाय़र जे.सी. अपने मिशन में कामयाब नहीं हो सके हैं. हालांकि जेसी साहब.. अभी भी लगे हैं..कभी तो कामयाब होंगे. 

चर्चित विभाग में फिर से घुसना चाहते हैं जे.सी...

बता दें,  रिटायर ज्वाइंट कमिश्नर उस विभाग से ताल्लुक रखते हैं, जो काफी चर्चित विभाग है. इस विभाग की चर्चा तब और बढ़ जाती है जब सूबे के विभिन्न जिलों में लोगों की मौत होने लगती है.मुख्यमंत्री ने 2016 में महिलाओं की डिमांड पर बड़ा निर्णय लिया था और राज्य को ड्राई प्रदेश घोषित कर दिया था. इस कानून को लागू रखने की इस विभाग पर ही जिम्मेदारी है. मुख्यमंत्री बार-बार कहते रहे हैं..महिलाओं की मांग पर ही हमने बिहार में यह कानून लागू किया है. हालांकि सिर्फ कहने को बिहार ड्राई राज्य है, हकीकत तो कुछ और ही है. सचिवालय में चर्चा है कि विभाग के रिटायर ज्वाइंट कमिश्नर का मोह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा. रिटारमेंट के बाद वजीर से पूरी तरह से घूल-मिल गए हैं. विभाग के दोनों हाकिमों से भी नजदीकी है. बाहरी काम तो करा ले रहे, लेकिन नियोजन वाला अपना काम नहीं करा पा रहे. अब देखना होगा  ज्वाइंट कमिश्नर का सपना पूरा होता है या नहीं ?   

विवेकानंद की रिपोर्ट