बिहार में महिला सिपाहियों द्वारा बुजुर्ग की बर्बर पिटाई पर मानवाधिकार आयोग सख्त: राज्य सरकार से मांगा जवाब

बिहार में महिला सिपाहियों द्वारा बुजुर्ग की बर्बर पिटाई पर मानवाधिकार आयोग सख्त: राज्य सरकार से मांगा जवाब

DESK: बिहार के कैमुर में दो महिला सिपाहियों द्वारा एक बुजुर्ग शिक्षक की बर्बर पिटाई का मामला शांत होता नहीं दिख रहा है. 70 साल के एक बजुर्ग शिक्षक की बीच बाजार बर्बर पिटाई के वीडियो ने पूरे देश में खलबली मचा दी है. जिला प्रशासन ने दोनों महिला सिपाहियों पर कार्रवाई की खानापूर्ति कर मामले को दबाने की कोशिश की है लेकिन बात बनती नहीं दिख रही है. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इस मामले का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है.  


 

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग यानि  NHRC ने उन मीडिया रिपोर्ट का स्वत: संज्ञान लिया है.  जिसमें 20 जनवरी, 2023 को बिहार के कैमूर जिले में एक 70 वर्षीय व्यक्ति को दो महिला पुलिसकर्मियों द्वारा सार्वजनिक रूप से डंडों से पीटा गया था.  पीड़ित व्यक्ति को गिरफ्तार भी कर लिया गया था. पुलिसिया बेरहमी के शिकार बने बुजुर्ग व्यक्ति लंबे समय से एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहे थे. घटना के दिन वे स्कूल जा रहे थे कि रास्ते में उनकी साइकिल फिसल गई और वे सड़क पर गिर गए. इसके कारण कुछ देर के लिए ट्रैफिक जाम हो गया.


सड़क पर गिरे बुजुर्ग शिक्षक को उठनें में भी परेशानी हो रही थी. इसी बीच वहां तैनात दो महिला पुलिसकर्मियों ने उनकी मदद करने के बजाय बुजुर्ग शिक्षक को बर्बर तरीके से पीटना शुरू कर दिया. सरेराह बुजुर्ग की पिटाई का वीडियो वायरल हुआ


 राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि मीडिया ने घटना का वीडियो भी चलाया है जिसे लगता है कि पीडित व्यक्ति के जीवन के अधिकार और सम्मान पर चोट पहुंचाया गया. सरकारी नौकरों ने अपनी शक्ति का गलत प्रयोग किया और इस तरह से काम किया, जो उनके आधिकारिक कर्तव्य के निर्वहन से जुड़ा नहीं था. जबकि पुलिस जैसी एजेंसी को ऐसी स्थितियों को समझदारी से और मानवीय दृष्टिकोण से संभालना चाहिये.


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बिहार के मुख्य सचिव और डीजीपी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. रिपोर्ट में ये बताने को कहा गया है कि बुजुर्ग की पिटाई करने वाली महिला सिपाहियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हुई. उनके खिलाफ क्या कोई एफआईआर दर्ज हुई और अगर दर्ज की गयी तो उसमें क्या कार्रवाई की गयी. आयोग ने पीड़ित शिक्षक के स्वास्थ्य पर भी रिपोर्ट मांगी है. अगर राज्य सरकार ने पीडित व्यक्ति को कोई मुआवजा दिया है तो उसे भी बताने को कहा गया है.


राष्ट्रीय मानवाधिकार आय़ोग ने कहा है कि घटना के संबंध में जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक साइकिल से जा रहे शिक्षक सड़क पर गिर गये थे. उनके साथ सड़क दुर्घटना हुई थी. सड़क दुर्घटनाओं आम तौर पर इसमें शामिल व्यक्तियों को एक पल के लिए स्तब्ध और घबरा देता है. ऐसे में मौके पर मौजूद पुलिस कर्मियों के साथ-साथ नागरिकों का भी नैतिक कर्तव्य बनता है कि वे पीड़ितों की मदद करें. जबकि पुलिसकर्मियों ने पीडित व्यक्ति को ही पीट दिया.